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भविष्य के युद्ध साइबर स्पेस में लड़े जाएंगेः रक्षा मंत्री पर्रिकर

पर्रिकर ने कहा कि सेना को न केवल डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग
करना चाहिए बल्कि विनाशकारी प्रौद्योगिकी से बचाव भी करना चाहिए

manohar parrikar

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नर्इ दिल्ली। भविष्य में युद्ध साइबर स्पेस में लडे जाने की आशंका जाहिर करते हुए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज सेना को ‘सूचनाहीनता’ (इन्फर्मेशन ब्लैकआउट) के खिलाफ आगाह किया और विनाशकारी साइबर हमलों तथा छेड़छाड़ से बचाव सुनिश्चित करने के लिए क्षमताएं बढाने को कहा। पर्रिकर ने आतंकी संगठन आईएसआईएस का उदाहरण देते हुए कहा कि यह संगठन अपने इरादे को आगे बढाने के लिए इंटरनेट प्रौद्योगिकी का बेहतर उपयोग करने वालों में से एक है। रक्षा मंत्री ने कहा कि उभरता भारत वैश्विक मामलों में और अधिक प्रभावी भूमिका निभाएगा। पर्रिकर ने डीईएफसीओएम सम्मेलन में अपने संबोधन में कहा कि एक राष्ट्र के रूप में जिस दुनिया से हम रुबरु हो रहे हैं उसमें अस्थिरता अधिकाधिक बढती जा रही है और एक प्रभावशाली सैन्य ताकत की जरुरत होगी।

पर्रिकर ने कहा कि हमें सैन्य अवधारणा के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी और प्रणाली विकसित करने की जरुरत है। सम्मेलन का आयोजन भारतीय सेना की सिग्नल कोर और सीआईआई ने किया था। रक्षा मंत्री ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी को एक अहम भूमिका निभानी है क्योंकि भविष्य में युद्ध शायद साइबर युद्ध हों। पर्रिकर ने कहा कि जमीनी सेनाओं को नहीं बदला जा सकता, लेकिन उन्हें ऐसे उपकरणों से सुसज्जित किया जा सकता है जो उन्हें सुनियोजित तरीके से लडने के लिए सभी सूचनाएं निर्बाध मुहैया कराएंगे।

विकासशील इंटरनेट प्रौद्योगिकी के समुचित उपयोग की जरुरत पर जोर देते हुए पर्रिकर ने कहा दाएश या आईएसआईएस जैसे आंतकी संगठनों का उदाहरण लिया जा सकता है। भर्ती या सहयोग सुनिश्चित करने के लिए वह इंटरनेट का उपयोग सुनिश्चित करते हैं और अपने लक्ष्यों को आगे बढाने के लिए वह इंटरनेट प्रौद्योगिकी के बेहतरीन उपयोगकर्ताओं में से एक हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि उनकी चिंता सूचना हीनता को लेकर है जो विभिन्न विनाशकारी प्रक्रियाओं के जरिए पैदा की जा सकती है। उन्होंने कहा कि इन्फॉर्मेशन करप्शन भी उस प्लेटफार्म पर दूसरा खतरा हो सकता है जिसका हम उपयोग करते हैं।

उन्होंने कहा कि इन्फार्मेशन ओवरलोड भी एक समस्या है। पर्रिकर ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के कारण आपको इतनी अधिक सूचना मिल सकती है कि उनमें से महत्वपूर्ण सूचनाओं का मिलना भूसे के ढेर में सुई खोजने जैसा हो गया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि हम सूचना प्रौद्योगिकी के जरिए प्रगति करते हैं और सेना का अधिक डिजिटलीकरण करते हैं, लेकिन शत्रु द्वारा साइबर हमलों के माध्यम से विनाश का खतरा भी है। हमें यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी क्षमताएं आगे बढाने की जरुरत है कि इस तरह के विनाशकारी साइबर हमलों या साइबर छेडछाड वे हमारा बचाव कर सकें। पर्रिकर ने कहा कि भारतीय सेना को न केवल डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिए बल्कि विनाशकारी प्रौद्योगिकी से अपना बचाव भी करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सॉफ्टवेयर विकसित करने में भारत अग्रणी मोर्चे पर है, लेकिन हमारी प्रणाली में बेहतरीन हार्डवेयर और समन्वय की जरुरत है। उन्होंने यह भी कहा कि नर्इ रक्षा खरीद प्रक्रिया अंतिम चरण है और उन्हें उम्मीद है कि निकट भविष्य में यह प्रभावी होगी। उन्होंने कहा कि सरकार अधिकाधिक स्वदेशीकरण के लिए प्रयासरत है। पर्रिकर ने कहा कि बेहतर प्रयासों के बाद भी यह रातों रात नहीं हो सकता और केवल 10 फीसदी वृद्धि ही हो सकती है। उन्होंने उद्योग जगत और सैन्य बलों को आश्वासन दिया कि सरकार ‘मेक इन इंडिया’ पर फोकस कर रही है। स्वदेश में निर्मित उत्पादों पर निर्भरता हमारा प्रयास होगा क्योंकि युद्ध में अत्यंत अपरिहार्य स्थिति में आप अपने ही संसाधनों पर निर्भर रह सकते हैं।

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