देहरादून। मोदी सरकार की ओर से जारी की गई स्मार्ट सिटी की तीसरी सूची में भी राजधानी देहरादून का नाम नहीं होने से राजनीति गरमा गई है। इस मुद्दे को लेकर अब कांग्रेस और भाजपा दोनों अपनी-अपनी राजनीति करने में जुट गए हैं।
केंद्र ने स्मार्ट सिटी की तीसरी सूची जारी करने से पहले राज्य सरकार से प्रस्ताव मांगा था। राज्य सरकार की ओर से देहरादून का नाम प्रस्तावित किए जाने के बाद देहरादून के लोगों को भी एक उम्मीद बंधी थी। लेकिन तीसरी सूची में नाम नहीं होने से देहरादून के लोगों को काफी निराशा हुई है।
केंद्र की ओर से जारी तीसरी सूची में भी देहरादून का नाम शामिल न किए जाने पर अब कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने हैं। भाजपा का कहना है कि कांग्रेस ने आधा-अधूरा प्रस्ताव केंद्र को भेजा था, इसलिए यह प्रस्ताव ठुकरा दिया गया। जबकि कांग्रेस ने केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर जानबूझकर उत्तराखंड की उपेक्षा करने आरोप लगाया है।
देहरादून का स्मार्ट सिटी बनने का सपना फिलहाल एक सपना ही लग रहा है। राजधानी देहरादून में लगतार बढ़ रही आबादी के कारण उसे व्यवस्थित ढंग से बसाने की जरूरत है। वहीं अब राज्य सरकार के स्तर से स्मार्ट सिटी पर काम करने की मांग भी उठने लगी है।
केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने स्मार्ट सिटी की जब तीसरी सूची जारी की तो उत्तराखंड के संबंध में कहा गया कि उत्तराखंड में बाढ़ और प्राकृतिक आपदा के चलते शहरों का चयन नहीं किया गया। इस बयान को लेकर तरह-तरह की चर्चा इसलिए होने लगी है, क्योकि एक तो देहरादून में बाढ़ नहीं आई, दूसरे पूरे राज्य में भी 2013 की आपदा के मुकाबले इस साल बेहतर स्थितियां रही हैं।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा है कि मुख्यमंत्री हरीश रावत देहरादून को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए गंभीर नहीं हैं। भट्ट ने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र को स्मार्ट सिटी का जो प्रस्ताव भेजा है, उसमें काफी कमियां है। मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि उन्होंने एक नहीं दो-दो बार देहरादून को स्मार्ट सिटी बनाने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है। इसके बावजूद अगर केंद्र देहरादून को स्मार्ट सिटी नहीं बनाना चाहता है तो सवाल तो खड़े होंगे ही।
मुख्यमंत्री केन्द्र पर राज्य के साथ सौतेला व्यवहार करने के आरोप लगाए हैं। मुख्यमंत्री ने प्रदेश भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें दिल्ली में बैठे अपने नेताओं और अपनी सरकार से पूछना चाहिए कि वे उत्तराखंड के साथ अन्याय क्यों कर रहे हैं। इस पूरे मामले को लेकर अब दोनों ओर से बयान बाजी हो रही है।
कांग्रेस और भाजपा दोनों ही इस मुद्दे पर राजनीति करने में लगे हुए हैं। ऐसे में भविष्य में राजधानी देहरादून की क्या तस्वीर होगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
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