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केन्द्र के हुक्म पर नहीं स्वतंत्र रूप से काम करे दिल्ली पुलिसः हाईकोर्ट

Published: Jan 21, 2016 12:20:00 pm

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को दिल्ली पुलिस से कहा कि वह केंद्र सरकार  के आदेश के तहत काम नहीं करे

Delhi High Court

Delhi High Court

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को दिल्ली पुलिस से कहा कि वह केंद्र सरकार के आदेश के तहत काम नहीं करे। अदालत ने दिल्ली पुलिस में अतिरिक्त भर्तियों के लिए धन नहीं देने पर केंद्र सरकार को फटकार भी लगाई।

न्यायाधीश बीडी अहमद और न्यायाधीश संजीव सचदेवा ने इस बात पर सवाल उठाया कि दिल्ली पुलिस में अतिरिक्त कर्मियों की भर्ती को गृह मंत्रालय की तरफ से मंजूरी मिलने के बावजूद वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने इसके लिए धन क्यों नहीं जारी किया। अदालत ने ये बातें राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा और पुलिस बल बढ़ाने से संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कही।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के मातहत है

हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा कि वह आक्रामकता के साथ केंद्र सरकार को बताए कि उसे अतिरिक्त पुलिसकर्मियों की जरूरत है। दिल्ली पुलिस केंद्रीय गृह मंत्रालय के मातहत है। पीठ ने कहा कि दिल्ली पुलिस को केंद्र के आदेशों के तहत काम नहीं करना चाहिए। स्वतंत्र रूप से काम करना चाहिए। यह बेहद महत्वपूर्ण मुद्दा है। दिल्ली पुलिस को इस बारे में अधिक आक्रामक होना होगा।

पैसे कैसे रोक सकते है

न्यायालय ने कहा, “जब गृह मंत्रालय ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी तो फिर वित्त मंत्रालय इसे कैसे रोक सकता है? इसे देखना चाहिए था कि प्रस्ताव पर अमल के लिए धन उपलब्ध हो सके। अदालत ने कहा, एक बड़े (शापिंग) मॉल को बनाने में इससे अधिक पैसा लग जाता है..यह (धन) व्यय विभाग में बैठे अफसरों की जेब से नहीं लिया जा रहा है। हम सभी इसके लिए भुगतान कर रहे हैं। क्या बदले में हमें सुरक्षा मिल रही है? क्या महिलाएं महज शाम सात बजे के बाद ही इत्मीनान से घूम-फिर सकती हैं?

14 हजार अतिरिक्त भर्तियां होनी हैं

जुलाई 2013 के आदेश में अदालत ने केंद्र सरकार से दिल्ली पुलिस में 14 हजार अतिरिक्त भर्तियों के लिए कहा था। इस पर 450 करोड़ रुपए का खर्च होना था। केंद्र सरकार ने दिसंबर 2015 में अदालत को बताया कि दिल्ली पुलिस में 4227 पदों का सृजन किया गया है। व्यय विभाग ने बुधवार को दाखिल हलफनामे में कहा कि इन 4227 पदों को दो चरणों में पुलिस में शामिल किया जाएगा। पहले 2016-17 में और फिर 2017-18 में।

रोबोट नहीं चला सकते दिल्ली

हलफनामे में कहा गया है कि गृह मंत्रालय से आग्रह किया गया है कि वह दिल्ली पुलिस की वर्तमान और भावी जरूरतों के हिसाब से एक समग्र प्रस्ताव दे। इससे वित्त मंत्रालय को इस पर समग्र राय बनाने में आसानी होगी। अदालत को केंद्र सरकार का यह रुख पसंद नहीं आया कि श्रमशक्ति बढ़ाने के बजाए तकनीक पर ध्यान दिया जाए। अदालत ने कहा, रोबोट दिल्ली नहीं चला सकते। वे मुफ्त में नहीं मिलते, उनके लिए धन खर्च करना होगा। मानव जीवन मुफ्त में उपलब्ध है।

महिला सुरक्षा पर खर्च नहीं करना चाहती केंद्र सरकार

हाईकोर्ट ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर दिखाए जा रहे ढुलमुल रवैये पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने पाया कि दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर न ही पिछली सरकार और न ही मौजूदा सरकार गंभीर नजर आती है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है जैसे केंद्र की न ही दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगाने में और न ही दिल्ली पुलिस में नई भर्तियां करने में कोई दिलचस्पी है। कोर्ट ने कहा कि हालत ये है कि दिल्ली में महिलाएं 7 बजे के बाद अकेले सुरक्षित महसूस नहीं करती। दिल्ली के लोगों और महिलाओं की सुरक्षा की केंद्र सरकार को फिक्र नहीं है।

एमिकस क्यूरी मीरा भाटिया ने कहा कि सरकार ने उन 44 जगहों पर भी सीसीटीवी नहीं लगाया, जिन्हें दिल्ली पुलिस ने संवेदनशील माना है। उन्होंने इसकी वजह जाननी चाही। मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी को होगी। कोर्ट ने कहा कि केंद्र के सभी मंत्री दिल्ली में ही बैठते हैं, फिर भी इसपर कोई ध्यान नहीं देता। दिल्ली में ही सभी नेताओं के बैठने के बाद भी दिल्ली के साथ केंद्र सौतेला व्यवहार कर रही है।
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