व्यापमं घोटाला : सीबीआई जांच के लिए कांग्रेस SC पहुंची
Published: Jun 30, 2015 11:07:00 pm
चर्चित व्यापमं घोटाले की जांच CBI से कराने की मांग को लेकर कांग्रेस ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है
Vyapam Scam: Digvijay Singh
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के चर्चित व्यापमं घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग प्रदेश सरकार द्वारा खारिज कर दिए जाने पर कांग्रेस ने एक जनहित याचिका दायर कर यही मांग सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष रख दी है। पार्टी ने मंगलवार को कहा कि उसे मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा इस मामले की जांच के लिए नियुक्त किए गए विशेष जांच दल (एसआईटी) पर भरोसा नहीं है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की है। इस याचिका में उन्होंने शीर्ष अदालत से गुहार लगाई है कि एसआईटी सफल नहीं हुई है, इसीलिए इस मामले का संज्ञान लें।
व्यापमं में मेडिकल, इंजीनियरिंग कालेजों में दाखिले और नियुक्तियों में बड़े पैमाने पर हुई धांधली की आंच राज्यपाल व मुख्यमंत्री से लेकर कई बड़े नेताओं, वरिष्ठ अधिकारियों और व्यापारियों पर आई है। एफआईआर दर्ज होने पर राज्यपाल को अदालत से “महामहिम” होने का लाभ लेना पड़ा है। वर्ष 2013 से लेकर अब तक इस घोटाले से जुड़े 40 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें राज्यपाल रामनरेश यादव के पुत्र शैलेश यादव की मौत भी शामिल है।
25 मई 2015 को शैलेश उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के माल एवेन्यू इलाके स्थित अपने पिता के घर पर संदिग्ध हालात में मृत पाए गए थे। दिग्विजय सिंह ने कहा, “हम सर्वोच्च न्यायालय जाएंगे, और आग्रह करेंगे कि वह इस मामले में एक निगरानी समिति का गठन करें।” उन्होंने कहा, “न केवल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बल्कि उनका पूरा दफ्तर इस घोटाले में शामिल है। हमने एसआईटी को एक फोन नंबर भी दिया है, जिसका ताल्लुक मुख्यमंत्री की पत्नी साधना सिंह से है।”
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश पुलिस के पास इतने बड़े घोटाले की जांच के लिए न तो संख्याबल है और न ही क्षमता है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, “एक बड़ा गिरोह काम कर रहा है।” दिग्विजय सिंह ने दावा किया है कि देश में पिछले कुछ वर्षो में दाखिले से संबंधित जितने भी घोटाले हुए हैं, उन सबकी जड़ मध्य प्रदेश में ही है, इसलिए इस राज्य को घोटालों की राजधानी कहा जाने लगा है।
उन्होंने कहा, “मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने स्वयं यह स्वीकार किया है कि हर साल 1,000 फर्जी दाखिले होते हैं, इसके बाद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।”