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जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट ने पेलेट गन का इस्तेमाल बंद करने को कहा

Published: Jul 24, 2016 03:31:00 pm

Submitted by:

Rakesh Mishra

जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट ने कहा है कि भीड़ को नियंत्रण के लिए पेलेट गन के इस्तेमाल को बंद कर देना चाहिए

pellet gun effect

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श्रीनगर। जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट ने कहा है कि भीड़ को नियंत्रण के लिए पेलेट गन के इस्तेमाल को बंद कर देना चाहिए। एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री ने लोकसभा में कहा है कि पेलेट गन का विकल्प ढूंढने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई जाएगी। पेलेट गन के इस्तेमाल को बंद करने के लिए यह बयान पर्याप्त होना चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश एन. पॉल वसंत कुमार और न्यायमूर्ति मुजफ्फर हुसैन अतहर की खंडपीठ ने कहा कि सिंह के बयान का यह भी मतलब है कि पैलेट गन घातक हैं। अदालत ने कहा कि गृह मंत्री के बयान का मतलब है कि कश्मीर में यह गैर घातक हथियार नहीं है। अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि जारी अशांति के दौरान जख्मी लोगों का आवश्यक उपचार किया जाए और जिन्हें विशेष चिकित्सा की जरूरत है, उन्हें उपचार के लिए दूसरे अस्पतालों में भेजा जाए।

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कश्मीर में पुलिस कांस्टेबल की मौत, मृतकों की संख्या 50 पहुंची
बता दें कि दक्षिण कश्मीर में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी और दो अन्य आतंकवादियों के मारे जाने के बाद घाटी में नौ जुलाई से जारी हिंसा में शनिवार को एक घायल पुलिस कांस्टेबल का अस्पताल में निधन हो जाने से मृतकों की संख्या 50 हो गई है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बांदीपोरा निवासी कांस्टेबल मुदासिर अहमद शाह कुलगाम में हिंसा के दौरान घायल हो गये थे। इससे पहले पुलिस विभाग में चालक के तौर पर काम करने वाले निजी सुरक्षा अधिकारी की वाहन सहित पुलवामा के झेलम नदी में गिर जाने से मौत हो गयी थी।



पेलेट गन से अब तक 10 लोगों की आंखों को नुकसान

घाटी में जारी हिंसा में अब तक तीन महिलाओं सहित 50 लोगों की मौत हो चुकी है और पांच हजार से अधिक लोग घायल हो गये हैं। घायलों में तीन हजार से अधिक सुरक्षाबल और पुलिसकर्मी हैं। पेलेट गन की गोलियों से 10 से अधिक लोगों की आंखों को नुकसान पहुंचा है, जिनमें अधिकतर युवक हैं। सरकार ने कल चार लोगों को विशेष इलाज के लिए नयी दिल्ली स्थानांतरित किया है।

पेलेट गन को लेकर क्यों हो रहा है बवाल

शरीर के ऊपरी हिस्से चोटिल
सुरक्षा बलों की कोशिश होती है कि इसे सामने से फायर न करें, लेकिन ज्यादातर उनकी भिड़ंत आमने-सामने होती है। इसे कमर के नीचे फायर करते हैं, लेकिन कई बार ऊपर लग जाता है।

फैल जाते हैं छर्रे
इसमें कई तरह के कारतूस प्रयोग होते हैं। ये 5 से 12 तक स्केल के होत हैं। इनमें से 5 सबसे खतरनाक है। एक कारतूस में पांच सौ के करीब लोहे के बॉल होते हैं। फायर करने के बाद कारतूस हवा में फूटता है, जिससे लोहे के बॉल यानी छर्रे चारों तरफ फैल जाते हैं।

अनियमित आकार
आमतौर पर ये रबड़ या प्लास्टिक से ढंके गोलाकार होते हैं। लेकिन कश्मीर में इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि यहां धातु के छर्रे इस्तेमाल किए जा रहे हैं और ये अनियमित आकार के हैं। इसकी वजह से चोट घातक साबित हो रही है।

किन-किन देशों में इस्तेमाल
पिछले दिनों अमरीका के डलास शहर में अफ्रीकी-अमरीकन की मौत के बाद हुए हंगामे के दौरान भीड़ को तितर-बितर करने के लिए इसी का इस्तेमाल हुआ। इसके अलावा इजरायल, बोलीविया, कनाडा, मिस्र, दक्षिण अफ्रीका और अर्जेंटीना जैसे देशों में भी भीड़ पर नियंत्रण के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता रहा है।

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