scriptएपीजे अब्दुल कलाम यूं बने मिसाइलमैन | Dr APJ Abdul Kalam: A journey from a poor boy to Missileman of India | Patrika News

एपीजे अब्दुल कलाम यूं बने मिसाइलमैन

Published: Jul 28, 2015 10:28:00 am

डॉ. कलाम के जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ तब आया, जब वे 1962 में भारतीय अंतरिक्ष
अनुसंधान संगठन (इसरो) से जुड़े

abdul kalam

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डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ तब आया, जब वे 1962 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से जुड़े। यहां पर उन्होंने विभिन्न पदों पर कार्य किया। उन्होंने अपने निर्देशन में उन्नत संयोजित पदार्थों का विकास आरम्भ किया। उन्होंने त्रिवेंद्रम में स्पेस साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी सेंटर (एसएसटीसी) में “फाइबर रिइनफोर्स्ड प्लास्टिक” डिवीजन की स्थापना की। इसके साथ ही साथ उन्होंने यहां पर आम आदमी से लेकर सेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अनेक महत्वपूर्ण परियोजनाओं की शुरूआत की।



उन्हीं दिनों इसरो में स्वदेशी क्षमता विकसित करने के उद्देश्य से “उपग्रह प्रक्षेपण यान कार्यक्रम” (एसएलवी-3) की शुरूआत हुई। कलाम की योग्यताओं को दृष्टिगत रखते हुए उन्हें इस योजना का प्रोजेक्ट डायरेक्टर नियुक्त किया गया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य था उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करने के लिए एक भरोसेमंद प्रणाली का विकास एवं संचालन। कलाम ने अपनी अद्भुत प्रतिभा के बल पर इस योजना को भलीभांति अंजाम तक पहुंचाया तथा जुलाई 1980 में “रोहिणी” उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित करके भारत को “अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब” के सदस्य के रूप में स्थापित कर दिया।



डॉ. कलाम ने भारत को रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से रक्षामंत्री के तत्कालीन वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. वीएस अरूणाचलम के मार्गदर्शन में “इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम” की शुरूआत की।



इस योजना के अंतर्गत “त्रिशूल” (नीची उड़ान भरने वाले हेलाकॉप्टरों, विमानों तथा विमानभेदी मिसाइलों को निशाना बनाने में सक्षम), “पृथ्वी” (जमीन से जमीन पर मार करने वाली, 150 किमी. तक अचूक निशाना लगाने वाली हल्कीं मिसाइल), “आकाश” (15 सेकंड में 25 किमी तक जमीन से हवा में मार करने वाली यह सुपरसोनिक मिसाइल एक साथ चार लक्ष्यों पर वार करने में सक्षम), “नाग” (हवा से जमीन पर अचूक मार करने वाली टैंक भेदी मिसाइल), “अग्नि” (बेहद उच्च तापमान पर भी “कूल” रहने वाली 5000 किमी तक मार करने वाली मिसाइल) एवं “ब्रह्मोस” (रूस से साथ संयुक्त् रूप से विकसित मिसाइल, ध्वनि से भी तेज चलने तथा धरती, आसमान और समुद्र में मार करने में सक्षम) मिसाइलें विकसित हुईं।



युवाओं को जागरूक किया

डॉ. कलाम नवंबर 1999 में भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार रहे। इस दौरान उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्रदान किया गया। उन्होंने भारत के विकास स्तर को विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए एक विशिष्ट सोच प्रदान की तथा अनेक वैज्ञानिक प्रणालियों तथा रणनीतियों को कुशलतापूर्वक संपन्न कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

नवंबर 2001 में प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार का पद छोड़ने के बाद उन्होंने अन्ना विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान कीं। उन्होंने अपनी सोच को अमल में लाने के लिए इस देश के बच्चों और युवाओं को जागरूक करने का बीड़ा लिया। इस हेतु उन्होंने निश्चय किया कि वे एक लाख विद्यार्थियों से मिलेंगे और उन्हें देश सेवा के लिए प्रेरित करने का कार्य करेंगे।


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