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पंजाबी लेखिका दलीप कौर टिवाणा ने पद्मश्री लौटाने का एलान किया

Published: Oct 13, 2015 06:52:00 pm

टिवाणा ने देश में बढ़ती सांप्रदायिक घटनाओं, राइट-टू-स्पीच के खिलाफ बने माहौल और लेखकों पर हो रहे हमलों के विरोध में सम्मान लौटाने का फैसला किया।

dalip kaur tiwana

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नई दिल्ली। जानी-मानी पंजाबी लेखिका दलीप कौर टिवाणा ने देश में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव के खिलाफ अपना पद्मश्री सम्मान लौटाने का ऎलान किया है। टिवाणा ने देश में बढ़ती सांप्रदायिक घटनाओं, राइट-टू-स्पीच के खिलाफ बने माहौल और लेखकों पर हो रहे हमलों के विरोध में सम्मान लौटाने का फैसला किया।

अल्पसंयकों पर हो रहे अत्याचार की आलोचना
उन्होंने लिखा है कि सत्य और न्याय के लिए खड़े होने वालों को मारना हमें दुनिया और ऊपर वाले की आंखों में शर्मसार करता है। इसलिए विरोध स्वरूप मैं पद्मश्री सम्मान लौटाती हूं। उन्होंने कहा कि मैं देश में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव की और अल्पसंख्यकों के साथ जो हो रहा है, उसकी निंदा करती हूं। उन्हें 2004 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। टिवाणा को उनके उपन्यास एहो हमारा जीवन के लिए 1971 में साहित्य अकादमी सम्मान से भी विभूषित किया गया था।

टिवाणा की उपलब्धियां
लुधियाना में जन्मीं और पटियाला में रह रहीं टिवाणा पटियाला यूनिवर्सिटी में पंजाबी लैंग्वेज की प्रोफेसर रह चुकी हैं। टिवाणा को 2004 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। उन्हें 1971 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिल चुका है। पंजाब सरकार ने 2007 और 2008 में पंजाबी साहित्य शिरोमणि अवार्ड दिया। 27 नॉवेल और शॉर्ट स्टोरीज के 7 कलेक्शन लिखने के अलावा वे महिलाओं के हक में आवाज उठाती रही हैं। टिवाणा का सबसे मशहूर नॉवेल 1969 में लिखा अहो हमारा जीवन है।

कन्नड़ लेखक रहमत तारीकेरी ने भी लौटाया सम्मान
बढ़ती असहिष्णुता के विरोध में अवार्ड लौटा रहे लेखकों की फेहरिस्त में कन्नड़ लेखक प्रोफेसर रहमत तारीकेरी भी मंगलवार को शामिल हो गए। एमएम कलबुर्गी और अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले नरेंद्र दाभोलकर एवं गोविंद पानसरे की हत्या के विरोध में वह अपना साहित्य अकादमी सम्मान लौटा रहे हैं।

इन्होंने भी लौटाया सम्मान
कृष्णा सोबती और अरूण जोशी के भी अवार्ड लौटाने के फैसले के बाद नयनतारा सहगल और अशोक वाजपेयी सहित कम से कम 25 लेखक अपने अकादमी पुरस्कार लौटा चुके हैं और पांच लेखकों ने साहित्य अकादमी में अपने आधिकारिक पदों से इस्तीफा दे दिया है। साहित्य अकादमी ने इन घटनाक्रमों पर चर्चा के लिए 23 अक्टूबर को आपात बैठक बुलाई है।

अब तक इन साहित्यकारों ने लौटाए अवॉर्ड
* सारा जोसफ
* अशोक वाजपेयी
* नयनतारा सहगल
* उदय प्रकाश
* मंगलेश डबराल
* राजेश जोशी
* गणेश देवी
* एन. शिवदास
* वीरभद्रप्पा
* गुरबचन सिंह भुल्लर
* अजमेर सिंह औलख
* आत्मजीत सिंह
* वरयाम सिंह संधू 

अशोक वाजपेयी ने पुरस्कार की राशि लौटाई
साहित्य अकादमी सम्मान लौटाने वाले लेखक अशोक वाजपेयी ने पुरस्कार लौटाने के बाद साथ में मिली रकम भी लौटा दी है। इस बीच संस्कृति राज्यमंत्री महेश शर्मा ने कहा है कि पुरस्कार लौटाने वाले लेखकों की पृष्ठभूमि को देखा जाना चाहिए, उन्होंने (लेखकों ने ) पहले क्या-क्या बयान दिए हैं, उन पर भी गौर किया जाना चाहिए।

सलमान रश्दी ने भी किया समर्थन
बुकर प्राइज से सम्मानित लेखक सलमान रश्दी भी लेखकों के विरोध में शामिल हो गए हैं। रश्दी ने अपने ट्वीट में कहा कि मैं नयनतारा सहगल और कई अन्य राइटर्स के विरोध-प्रदर्शन का समर्थन करता हूं। भारत में अभिव्यक्ति की आजादी के हिसाब से खतरनाक वक्त चल रहा है।
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