लंदन। जिस समय
भारत पर ब्रिटिश शासन था, उस समय तक कहा जाता था कि पश्चिम का सूरज कभी अस्त नहीं
होता है। लेकिन अब पश्चिम का सूरज पूरी तरह से डूब चुका है। भारत पर करीब 200 वर्ष
तक राज करने वाली और इस देश को अपना गुलाम बनाकर रखने वाली ईस्ट इंडिया कंपनी को
एक भारतीय संजीव मेहता ने खरीद लिया है।
मुंबई के बिजनेसमैन संजीव को इस बात
को भी कोई अफसोस नहीं है कि इस कंपनी को खरीदने के लिए उन्हें एक बड़ी कीमत अदा
करनी पड़ी है। संजीव की मानें तो इस डील में कितनी रकम लगी, इस पर मत ध्यान दीजिए
बल्कि इसे भावनाओं के नजरिए से देखने की कोशिश करिए। संजीव ने 15 मिलियन डॉलर की
कीमत अदा करके खरीदा है। अब यह कंपनी ब्रिटिश नागरिक नहीं बल्कि एक भारतीय के
मालिकाना हक वाली कंपनी है। इस कंपनी को खरीदने के लिए संजीव ने कंपनी के 40 शेयर
धारकों से वर्ष 2010 में डील फाइनल की थी। संजीव की मानें तो इस डील को सफल बनाने
के लिए उन्होंने दिन-रात एक कर दिया था। पांच वर्ष तक वह कोई काम नहीं कर रहे थे
बस यही सोचते रहते थे कि आखिर कैसे वह इस कंपनी के मालिक बनें।
संजीव जो कि
मुंबई के हीरे के उद्योगपति हैं, कहते हैं कि उनके लिए यह मौका काफी इमोशनल पल था।
वह बार-बार इसी बात को सोचते कि जिसने हम पर कभी राज किया, आज वह उसी कंपनी के
मालिक हैं। संजीव ने अब अपनी इस कंपनी के लिए कई प्लान भी बना डालें हैं। वह ईस्ट
इंडिया कंपनी को नए बिजनेस में लाने की तैयारी कर रहे हैं। उनकी योजना ई-कॉमर्स
बिजनेस के जरिए कई तरह के लग्जरी गिफ्ट्स बेचने की है। संजीव ने 15 अगस्त यानी
आजादी के दिन अपने इस ब्रांड को लांच भी कर दिया है। ईस्ट इंडिया कंपनी की शुरूआत
1600 में हुई थी। इस कंपनी ने 17वीं व 18वीं शताब्दी में पूरी दुनिया के बिजनेस पर
राज किया था। ईस्ट इंडिया कंपनी 1757 में भारत पहुंची थी और धीरे-धीरे “फूट डालो और
राज करो” की नीति के बल पर इसने पूरे भारत पर कब्जा कर लिया था।
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