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हरियाणा के राज्यसभा चुनाव में हुई धांधली पर एफआईआर के आदेश

Published: Sep 29, 2016 09:19:00 am

स्याही अलग होने से 12 वोट रद्द हुए थे। इससे भाजपा समर्थित सुभाष चंद्र की जीत हुई थी। इस जीत को चुनौती दी गई।

Haryana rajya sabha poll

Haryana rajya sabha poll

चंडीगढ़. केंद्रीय चुनाव आयोग ने राज्यसभा चुनाव के स्याही विवाद में हरियाणा के चीन इलेक्शन ऑफिसर (सीईओ) को अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। चुनाव में रिटर्निंग अधिकारी (आरओ) व विधानसभा सचिव राजेंद्र सिंह नांदल के खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की सिफारिश की गई। चुनाव में हुई तथाकथित धांधली में यह आदेश दिए गए हैं। स्याही अलग होने से 14 वोट रद्द हो गए थे। 


चुनाव अायोग ने मानी गड़बड़ी

अहम बात यह है कि चुनाव आयोग ने माना है कि इस मामले में लापरवाही बरती गई है। आयोग ने धांधली की आशंका से भी इंकार नहीं किया है। मुख्य सचिव को लिखे पत्र में आयोग ने कहा है कि आरओ ने अपनी ड्यूटी ठीक से नहीं निभाई इसलिए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। आयोग ने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला द्वारा मतदान केंद्र में दूसरा पेन होने का मुद्दा उठाने का भी जिक्र किया है। आदेशों में चुनाव की वीडियोग्राफी का भी हवाला दिया गया है। 

अलग पेन से वोट डालने से हुए थे वोट रद्द

दरअसल, हरियाणा में राज्ससभा की 2 सीटों के लिए 11 जून को मतदान हुआ था। पहली सीट पर भाजपा उम्मीदवार केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह और दूसरी सीट पर भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा चुनाव जीते। माना जा रहा है कि मतदान के दौरान 14 वोट रद्द होने की वजह से समीकरण चंद्रा के पक्ष में बने। इनमें 12 वोट अलग स्याही की वजह से रद्द हुए। जो 12 वोट रद्द हुए थे, उन विधायकों ने कहा था कि जो पेन उन्हें दिया गया उसी से उन्होंने वोट दिया। अब तफ्तीश की जा रही है कि अलग पेन देना किसकी साजिश थी? और कौन लोग शामिल हैं? खैर, पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बैलेट पेपर खाली छोड़ दिया था। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने अपना वोट किरण चौधरी को दिखा दिया था। ये 2 वोट भी रद्द हो गए थे। 

निर्दलीय उम्मदीवार आनंद ने की थी शिकायत 

इनेलो व कांग्रेस समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार आरके आंनद ने राज्यसभा चुनाव में धांधली के आरोप लगाए थे। उन्होंने पहले हरियाणा चुनाव आयोग और बाद में केंद्रीय चुनाव आयोग को इस मामले की शिकायत की। आनंद ने पुलिस को शिकायत भी दी हुई है। बता दें कि चुनाव आयोग के आदेश को बदलने का अधिकार अब केवल अदालत को है। मुकदमा दर्ज करने के आदेश के बाद सांसद सुभाष चन्द्रा की राज्यसभा सदस्यता पर कोई असर पड़ेगा या नहीं, इसका फैसला चुनाव याचिका से ही हो सकता है। यदि दूसरे पक्ष ने चुनाव याचिका दायर कर रखी है तो वह आयोग के ताजा आदेश को एक प्रमुख साक्ष्य के तौर पर अदालत में पेश कर सकता है।



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