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यूरोपियन कोर्ट ने कहाः सुरक्षित नहीं फेसबुक की प्राइवेसी सेटिंग्स

Published: Oct 07, 2015 08:06:00 am

Submitted by:

Rakesh Mishra

27 साल के ऑस्ट्रियाई छात्र मैक्स ने किया था आयरलैंड
में केस, यूरोप की सबसे बड़ी अदालत ने मानी छात्र की बात

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लक्जमबर्ग। कानून की पढ़ाई कर रहे 27 वर्षीय ऑस्ट्रियाई छात्र मैक्स स्क्रेम्स को दो साल की लड़ाई के बाद सफलता मिली। एडवर्ड स्नोडन के अमरीकी गुप्तचर संस्था एनएसए से जुड़े खुलासों के बाद मैक्स ने दावा किया था कि आयरलैंड के फेसबुक हेडक्वार्टर से अमरीका जा रही सूचनाएं सुरक्षित नहीं हैं, इनके लीक होने का खतरा है। शुरूआत में निचली अदालत ने केस खारिज कर दिया, लेकिन अब यूरोप की सबसे बड़ी अदालत ने मैक्स की बातों का समर्थन करते हुए इसे दुरूस्त करने का आदेश दिया है।




  • यूरोप से अमरीका जाने वाली यूजर्स की सूचनाएं लीक होने का खतरा
  • स्नोडेन के खुलासों के बाद किया था केस, निचली कोर्ट में खारिज
  • सबसे बड़ी यूरोपीय अदालत ने कहा- सेटिंग्स बदलें या बंद करें हेडऑफिस


क्या लीक होने का खतरा
फेसबुक किसी भी यूजर की इजाजत लिए बगैर उसकी प्राइवेसी सैटिंग में घुस सकता है व सर्च हिस्ट्री को खंगाल सकता है जिससे निजी सूचनाओं के लीक होने का खतरा है। इससे ईमेल, क्रेडिट कार्ड के बिल, बैंक आदि से संबंधित सूचनाओं के दुरूपयोग की आशंका है। पहले महंगे उपकरणों व काम रूकने का हवाला देकर कानून में बदलाव नहीं किया जा रहा था।

भारत को भी फायदा : अमरीका व कनाडा को छोड़कर अन्य सभी देशों के यूजर्स की सूचनाएं आयरलैंड होते हुए ही अमरीका पहुंचती है। इस फैसले से भारतीय फेसबुक यूजर्स को भी फायदा हो सकता है।
क्या होगा असर : ऑनलाइन डाटा पर अमरीकी गुप्तचर संस्था की पकड़ ढीली होगी। इससे ऑनलाइन कारोबार, विज्ञापन कंपनियों आदि के राजस्व पर असर पड़ना संभव।

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