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अब शाहरुख-आमिर जैसे एक्टर्स शौकिया नहीं बन पाएंगे पिता

शाहरुख और आमिर जिस तरह से सरोगेसी के जरिए पिता बने हैं, वह अब मुमकिन नहीं होगा, भारत के सरोगेसी बिल के कानून में बदलाव हो गया है…

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नई दिल्ली। शाहरुख खान और तुषार कपूर जिस तरह से सरोगेसी के जरिए पिता बने हैं, वह अब मुमकिन नहीं होगा। भारत के सरोगेसी बिल के कानून में बदलाव हो गया है। कुछ सालों से भारत में सरोगेसी का मार्केट बन गया था, लेकिन केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को सरोगेसी कानून के ड्राफ्ट बिल को मंजूरी दे दी है। सरोगेसी बिल को पास करने का उद्देश्य उधार की कोख वाली मां के अधिकारों की रक्षा करना और सरोगेसी से होने वाले बच्चे के माता-पिता को कानूनी मान्यता प्रदान करना है। लेकिन सरकार ने विदेशियों द्वारा सरोगेसी सेवाएं लिए जाने पर रोक लगा दी है और सिर्फ भारतीयों को ही इसकी अनुमति दी है। साथ ही कमर्शियल सरोगेसी पर भी पूरी तरह से रोक लगा दी गई है, ताकि सरोगेसी के नाम पर किसी महिला का शोषण न हो सके। आइए पहले जानें क्या है सरोगेसी और फिर सरोगेसी बिल की प्रमुख बातें…

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क्या हैं सरोगेसी
सरोगेसी एक ऐसी प्रैक्टिस है जिसमें एक महिला किसी अन्य जोड़े के लिए बच्चे को अपनी कोख से जन्म देती है और जन्म के उस बच्चे पर उसके सभी अधिकार समाप्त हो जाते हैं। सरोगेसी मोटे तौर पर दो तरह ही होती है- परोपकारी सरोगेसी और कॉमर्शियल सरोगेसी। परोपकारी सरोगेसी में मेडिकल और इंश्योरेंस के खर्च को छोड़कर किसी भी तरह से आर्थिक फायदा नहीं उठाया जाता। वहीं, कॉमर्शियल सरोगेसी कोख को किराए पर लिया जाता है, इस तरह किसी के लिए बच्चे को जन्म देने के बदले सरोगेट मदर मेडिकल और अन्य संबंधित खर्च के अलावा आर्थिक लाभ की हकदार होती है। भारत में कॉमर्शियल सरोगेसी का बाजार बेहद बड़ा है।

आइए जानें इस बिल की खास बातें क्या हैं-

1. सरोगेसी बिल 2016 को कैबिनेट की मंजूरी: केंद्रीय कैबिनेट ने सरोगेसी बिल 2016 के ड्राफ्ट बिल को संसद में पेश करने के लिए मंजूरी दे दी है।

2. सरोगेट माता के अधिकारो की रक्षा: सरोगेसी के लिए देश में उचित वैधानिक तंत्र के अभाव में सरोगेट माताओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए अब तक कोई प्रावधान नहीं था। ऐसे में उनके शोषण की आशंका बनी रहती थी। इस बिल के पास हो जाने पर सरोगेट माताओं के शोषण की आशंका खत्म की जा सकेगी।

3. सरोगेट बच्चे के पैरेंट्स को मान्यता: सरोगेसी से पैदा होने वाले बच्चे के पैरेंट्स को इस बिल के पास होने के बाद कानूनी मान्यता मिल जाएगी।

4. कमर्शियल सरोगेसी पर प्रतिबंध: पिछले कुछ सालों के दौरान कोख को किराए पर लेने का एक नया बिजनेस शुरू हो गया था। इसमें किसी गरीब महिला (सरोगेट माता) की कोख का इस्तेमाल बच्चे पैदा करने के लिए होता था और बच्चे के जन्म के बाद महिला को गरीबी में ही जीने के लिए छोड़ दिया जाता था। इसी को देखते हुए सरकार ने सरोगेसी बिल में कमर्शियल सरोगेसी पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। रिपोटर््स के मुताबिक देश भर में सरोगेसी के 2000 से ज्यादा गैरकानूनी क्लिनिक चल रहे हैं।

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5. विदेशियों द्वारा सरोगेसी सेवाएं लेने पर रोक: सरकार ने महिलाओं, खासकर ग्रामीण और आदिवासी महिलाओं के शोषण को रोकने के लिए विदेशियों द्वारा सरोगेसी की सुविधाएं लेने पर रोक लगाने का प्रस्ताव इस बिल में किया है। नए बिल के तहत सिर्फ देश के लोगों को ही सरोगेसी की सुविधाएं लेने की इजाजत होगी। विदेशियों और एनआरआई को इसकी अनुमति नहीं होगी।

6. सिर्फ शादीशुदा लोगों को सरोगेसी की इजाजत: नए बिल के मुताबिक सिर्फ शादीशुदा लोगों को ही सरोगेसी की इजाजत होगी। सिंगल्स, लिव-इन जोड़ों और गे जोड़ों को सरोगेसी की सुविधाएं लेने की इजाजत नहीं होगी। सरोगेसी लेने के लिए कम से कम पांच साल से विवाहित होना जरूरी होगा और इसके लिए महिला की उम्र 25-50 और पुरुष की 26-55 साल की होना जरूरी है। ऐसा करने वाले शादीशुदा जोड़ों को ये मेडिकल सर्टिफिकेट देना होगा कि वे अपना बच्चा नहीं पैदा कर सकते हैं।

7. जिन लोगों के पास पहले से ही संतान हैं या जिन्होंने बच्चे गोद ले रखे हैं, उन्हें सरोगेसी की सुविधा लेने की इजाजत नहीं होगी। साथ ही कोई भी महिला सिर्फ एक बार ही सरोगेट मां बन सकती है।

8. सरोगेट बच्चे को बायोलॉजिकल बच्चे की तरह ही प्रॉपर्टी जैसे सभी अधिकार मिलेंगे।

9. सरोगेसी क्लिनिकों के लिए सरोगेट बच्चे का 25 साल तक रिकॉर्ड रखना जरूरी होगा। कानून का उल्लंघन करने वाले क्लिनिकों के मालिकों को 10 साल की सजा दिए जाने का प्रावधान होगा

10. स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में नेशनल सरोगेसी बोर्ड का गठन होगा। तीन महिला सांसद इस बोर्ड की सदस्य होंगी, जिनमें से दो लोकसभा से होंगी।

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सुषमा ने सरोगेसी के दुरुपयोग के लिए सेलेब्रिटी कपल्स को लताड़ा
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सरोगेसी के दुरुपयोग करने वालों की तीखी आलोचना की। आमतौर पर बच्चे पैदा करने में अक्षम कपल्स द्वारा अपनाई जाने वाली सरोगेसी का हाल के वर्षों में ऐक्टर्स और सेलेब्रिटी कपल्स ने अपने स्वार्थ के तौर पर प्रयोग किया है। सुषमा ने ऐसे स्टार ऐक्टर्स और सेलेब्रिटीज की आलोचना करते हुए कहा कि बड़े सेलेब्रिटीज जिनके एक ही नहीं दो-दो बच्चे हैं। एक बेटा और एक बेटी, उन्होंने भी सेरोगेसी का सहारा लिया है सिर्फ इसलिए क्योंकि उनकी पत्नियां दर्द नहीं सहना चाहती हैं, आप ऐसा नहीं कर सकते हैं। दरअसल सुषमा उस परोपकारी सरोगेसी पर टिप्पणी कर रही थी जिसमें बच्चा पैदा करने में अक्षम दंपतियों के रिश्तेदारों द्वारा सरोगेसी के लिए उनकी मदद की जाती है। लेकिन हाल के वर्षों में कई सेलेब्रिटीज ने अपने बच्चे होने के बावजूद परोपकारी सरोगेसी का सहारा लिया है, जिसकी सुषमा ने तीखी आलोचना की है।

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फोटो- शाहरुख खान अपने बेटे आर्यन के साथ।

…तो इन सिलेब्रिटी के नहीं होते सरोगेट बच्चे
यदि ये बिल पहले आया होता तो हमारे देश में कई सेलिब्रिटी ने सरोगेसी के जरिए अपना परिवार नहीं बढ़ा पाते, क्योंकि उनके पहले से ही बच्चे थे। 

ये हैं वे सेलिब्रिटी-

1. शाहरुख खान : बेटा आर्यन और बेटी सुहाना के होने के बावजूद दूसरे बेटे अबराम के जन्म के लिए सरोगेसी का सहारा लिया था।
2. आमिर खान : पहली पत्नी से बेटा जुनैद और बेटी इरा हैं, सरोगेसी के जरिए बेटे आजाद का जन्म हुआ।
3. सोहेल खान : साल 2000 में बेटे निर्वाण का जन्म हुआ, 2011 में उन्होंने सरोगेसी के जरिए परिवार को बढ़ाया।
4. तुषार कपूर: विवाहित न होते हुए भी तुषार हाल ही में सरोगेसी के जरिए एक बच्चे को अपने परिवार में लाए हैं। यदि ये कानून तब बन जाता है तो ये संभव नहीं होता।

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फोटो- बेटे आजाद और पत्नी किरण राव के साथ आमिर खान


दुनिया में सरोगेसी
अमेरिका, ब्रिटेन समेत ज्यादातर देश सरोगेसी को गैर कानूनी करार दे चुके हैं। नेपाल, थाईलैंड ने पिछले साल ही सरोगेसी पर रोक लगाई है। अभी सिर्फ रूस, यूक्रेन जैसे कुछ देशों में ही सरोगेसी की सुविधा है। लिहाजा सारी दुनिया से लोग भारत में आकर किराए की कोख लेना चाहते हैं।

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फोटो- अपने बेटे निर्वाण के साथ सोहेल खान
 
भारत में सरोगेसी
भारत में सरोगेसी सबसे सस्ती पड़ती है। साथ ही कानून नहीं रहने के कारण पूरी दुनिया के लोग भारत रहे थे। गुजरात और महाराष्ट्र में तो इसका हब बन चुका था। अवैध कारोबार चल रहा था। यूएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सरोगेसी के 3000 से ज्यादा सेंटर हैं। जबकि दूर-दराज के इलाकों के सेंटरों के आंकड़े हैं भी नहीं। इसका सालाना करोबार तीन से चार हजार करोड़ रुपए तक का हो चुका है।

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फोटो- सरोगेसी के जरिए सिंगल पैरेंट बने तुषार कपूर के बेटे के साथ जितेन्द्र।

कहां हो सकेगी सरोगेसी की प्रक्रिया
– केवल उन्हीं क्लिनिक पर सरोगेसी हो सकेगी जो नए एक्ट के तहत रजिस्टर्ड होंगे।
– सरोगेसी हॉस्पिटल का कम से कम 25 साल पुराना रिकॉर्ड होना जरूरी होगा।
– हॉस्पिटल या डॉक्टर या अन्य अधिकारी सरोगेसी से किसी प्रकार का आर्थिक लाभ नहीं ले सकेंगे।

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