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बिहार में पिछले चुनाव से 6.15% अधिक वोटिंग, जानिए किसे होगा फायदा

Published: Oct 13, 2015 01:28:00 pm

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में वोट का प्रतिशत 57 रहा, पिछले चुनाव की तुलना में यहां इस बार 6.15 फीसदी ज्यादा वोट डाले गए, इनमें महिला वोटरों की तादाद 59.5 और पुरुषों की 54.5 फीसदी रही

voting in bihar

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पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में दस जिलों की 49 सीटों पर सोमवार को हुए चुनाव में 2010 के विधानसभा चुनाव में हुए मतदान का रिकॉर्ड टूट गया। 2010 के विधानसभा चुनाव में इन जिलों की इतनी ही सीटों पर औसत 50.85 फीसदी वोट पड़े थे। इस बार इन सीटों पर वोट का प्रतिशत 57 रहा। पिछले चुनाव की तुलना में यहां इस बार 6.15 फीसदी ज्यादा वोट डाले गए। इनमें महिला वोटरों की तादाद 59.5 और पुरुषों की 54.5 फीसदी रही। महिलाओं ने पिछले चुनाव में भी पुरुषों की अपेक्षा बढ़-चढ़कर मतदान में हिस्सा लिया था।

वोट प्रतिशत में इजाफे का बड़ा कारण ध्रुवीकरण
हालांकि चुनाव आयोग वोट प्रतिशत को बढ़ाकर 70 फीसदी तक ले जाने के लिए वोटरों के बीच जागरुकता अभियान चला रहा था। इन दस सीटों पर चुनाव के ट्रेंड को देखने से पता चलता है कि यहां एनडीए और महागठबंधन के बीच बड़ा मुकाबला रहा। वोट प्रतिशत में इजाफे का बड़ा कारण वोटों के तीखे ध्रुवीकरण को भी माना जा सकता है। पिछले विधानसभा चुनाव में 49 सीटों में से जदयू के खाते में 29, भाजपा को 13, राजद को चार, कांग्रेस, झामुमो और भाकपा को एक-एक सीटें मिली थी। तब जदयू और भाजपा एक साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे थे। सबसे ज्यादा मतदान खगड़िया जिले की चार सीटों पर रिकॉर्ड किया गया।

सात जिलों में मतदान का प्रतिशत रहा औसत
इस जिले की चारों सीटों पर पिछले चुनाव में जदयू की जीत हुई थी। सोमवार को हुए मतदान में यहां 61.32 फीसदी वोट पड़े, जबकि 2010 के चुनाव में इन चारों सीटों पर औसतन 57 फीसदी ही वोट पड़े थे। समस्तीपुर में भी 60 फीसदी वोट पड़े। दस जिलों में भागलपुर जिले की सात सीटों पर 48.57, लखीसराय की दो सीटों पर 47.40 और नवादा की पांच सीटों पर 46.91 फीसदी वोट डाले गए। बाकी सात जिलों में मतदान का औसत इन तीन जिलों की तुलना में अधिक रहा।

 भागलपुर में कम वोटिंग प्रतिशत बनी अबूझ पहेली
लखीसराय जिले में दो सीटें हैं और बीते चुनाव में इन दोनों पर भाजपा को कामयाबी मिली थी। भागलपुर में कम वोटिंग प्रतिशत अबूझ पहेली बनी हुई है। बीते चुनाव में वहां की सात सीटों में से तीन-तीन पर भाजपा व जदयू तथा एक पर कांग्रेस को कामयाबी हासिल हुई थी। हालांकि भागलपुर सीट पर अश्विनी चौबे के लोकसभा के लिए निर्वाचित होने के बाद हुए उप चुनाव में कांग्रेस के अजित शर्मा ने जीत दर्ज की थी।

माओवादियों के वोट बहिष्कार की अपील को वोटरों ने नकारा

माओवादियों के वोट बहिष्कार की अपील को नकार कर नौ सीटों पर वोटरों ने भारी मतदान किया। जमुई जिले की चार विधानसभा सीटों पर मतदान का प्रतिशत 55 से 59.5 प्रतिशत के बीच रहा। उस जिले में मतदान का ओवरऑल प्रतिशत रहा 56.85. इसी तरह नक्सलग्रस्त अन्य पांच सीटों पर भी मतदान का प्रतिशत अधिक रहा। मतदान खत्म होने के बाद महागठबंधन और एनडीए अपने-अपने तरीके से इसका विश्लेषण कर रहे हैं। वोटिंग प्रतिशत में बढ़ोतरी का लाभ किस दल को मिला यह तो आठ नवंबर को ही पता चल पाएगा।

लोकसभा चुनाव में सुरक्षाबलों पर नक्सलियों ने किया था हमला
प्रथम चरण का चुनाव शांतिपूर्ण होना बड़ी उपलब्धि है। खासकर जमुई, मुंगेर, लखीसराय, नवादा और बांका में यह काम आसान नहीं था। नक्सलियों के गढ़ माने जानेवाले इन जिलों में शांतिपूर्ण चुनाव के लिए आयोग की रणनीति और सुरक्षाबलों की मेहनत का अहम योगदान रहा। यह वही इलाका है जहां चुनाव खून-खराबे के बगैर पूरा नहीं होता था। पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव में मतदान कराने जा रहे सुरक्षाबलों पर नक्सलियों ने मुंगेर के हवेली खड़गपुर के गंगटा मोड़ व सवा लाख बाबा के बीच हमला किया था। इसमें सीआरपीएफ के दो जवान शहीद हो गए थे और आधा दर्जन गंभीर रूप से जख्मी हुए थे।
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