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बिहार में बाढ़ से 31 लाख लोग प्रभावित, 37 की मौत

Published: Aug 25, 2016 11:55:00 pm

इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई बाढ़ राहत शिविरों का जायजा लिया और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए

Flood

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पटना। बिहार के 12 जिलों में बाढ़ से तबाही का मंजर जारी है। गंगा नदी के जलस्तर में गुरुवार को हालांकि मामूली कमी आई है, लेकिन यह अभी भी कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। इधर, पुनपुन और सोन नदी भी विभिन्न जगहों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। बिहार के 12 जिलों के 73 प्रखंडों के 1,934 गांव के 31.33 लाख की आबादी बाढ़ से प्रभावित है। बाढ़ से अब तक 37 लोगों की मौत हो चुकी है।

इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई बाढ़ राहत शिविरों का जायजा लिया और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। पटना स्थित बाढ़ नियंत्रण कक्ष के मुताबिक, गुरुवार को गंगा और सोन सहित सभी नदियों के जलस्तर में कमी आई है। पटना के गांधीघाट पर गंगा के जलस्तर 50.13 मीटर दर्ज किया गया जो बुधवार को 50.19 मीटर था।

पटना, वैशाली, भोजपुर और सारण जिला के दियारा क्षेत्र (नदी किनारे मैदानी इलाके) बाढ़ से अधिक प्रभावित हैं। आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि बाढ़ प्रभावित लोगों को सुरक्षित निकालकर राहत शिविरों में लाया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि अब तक लगभग 3.44 लाख लोगों को बाढग़्रस्त स्थान से बाहर निकालकर सुरक्षित स्थान पर लाया गया है, जिनमें से 1.74 लाख लोगों को 433 राहत शिविरों में रखा गया है। इसके अलावा 108 पशु शिविर खोले गए हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों में 2,333 नावों का परिचालन किया जा रहा है और एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीमें राहत और बचाव कार्यों में लगी हुई हैं।

बाढ़ नियंत्रण कक्ष में प्रतिनियुक्त सहायक अभियंता विवेक कुमार ने गुरुवार को आईएएनएस को बताया कि इंद्रपुरी बैराज में सोन नदी का जलस्तर में तेजी से कमी दर्ज की गई है। इंद्रपुरी बैराज के पास सोन नदी का जलस्तर 1,78,563 क्यूसेक दर्ज किया गया।

उन्होंने बताया कि गंगा नदी बक्सर, दीघा, गांधीघाट, हाथीदह, भागलपुर और कहलगांव में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जबकि बूढ़ी गंडक नदी खगडिय़ा में व घाघरा नदी गंगपुर सिसवन (सीवान) में और पुनपुन नदी श्रीपालपुर में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।

उल्लेखनीय है कि बिहार में गंगा नदी के उफान पर होने के कारण बक्सर, भोजपुर, पटना, वैशाली, सारण, बेगूसराय, समस्तीपुर, लखीसराय, खगडिय़ा, मुंगेर, भागलपुर और कटिहार जिलों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। बाढ़ का पानी धीरे-धीरे नए क्षेत्रों में भी प्रवेश कर रहा है।

आपदा प्रबंधन विभाग का दावा है कि बाढ़ से प्रभावित सभी जिलों में राहत और बचाव कार्य जारी है, हालांकि कई बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों का आरोप है कि सरकार द्वारा राहत और बचाव कार्य नाकाफी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को पटना जिले के कई बाढ़ राहत शिविरों को जायजा लिया और वहां रह रहे बाढ़ पीडि़तों की समस्याएं सुनीं। मुख्यमंत्री ने बाढ़ पीडि़तों को उचित सुविधा मुहैया कराने का आश्वासन दिया।

मुख्यमंत्री सबसे पहले मनेर उच्च विद्यालय में बने राहत शिविर पहुंचे। उनके साथ जल संसाधन मंत्री ललन सिंह के अलावे आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री मनेर और पटना ग्रामीण इलाके के बाढ़ पीडि़तों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं को देखा और उसका जायजा लिया। उन्होंने बाढ़ पीडि़तों को आश्वासन दिया कि सरकार हर हाल में उनके साथ है।

मुख्यमंत्री दानापुर व दीघा क्षेत्र में बनाए गए राहत शिविरों का भी दौरा किया और वहां रह रहे लोगों का हालचाल जाना। मुख्यमंत्री ने शिविरों में सुबह के नाश्ते का भी प्रबंध करने का निर्देश दिया। इधर, केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने आरोप लगाया कि कई बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में राहत और बचाव कार्य शुरू तक नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि वैशाली जिले के राघोपुर में लोगों के लिए नाव तक उपलब्ध नहीं है। केंद्र सरकार बाढ़ पीडि़तों के लिए बिहार सरकार को मदद देने को तैयार है।

इस बीच पटना के दानापुर और मनेर तथा वैशाली जिले के राघोपुर में राहत शिविरों का जायजा लेने के बाद जन अधिकार पार्टी के प्रमुख और सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कहा कि राहत शिविर के नाम पर लूट मची हुई है। स्थानीय नेता और अधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि राहत शिविर में रह रहे लोगों से तिगुना-चौगुना ज्यादा लोगों के खाना बनाने का रिकार्ड बनाकर राहत सामग्री की लूट की जा रही है। आज भी 90 प्रतिशत लोग अपने गांव और घर में रह रहे हैं। 10 फीसदी लोग ही राहत शिविरों तक पहुंचे हैं। गांवों में रह रहे लोगों के पास जलावन समाप्त है। पशुओं को चारा नहीं मिल रहा है।
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