जहाज निर्माता कंपनी डीसीएनएस ने कहा कि फ्रांस की रक्षा सुरक्षा मामलों को देखने वाली राष्ट्रीय स्तर के विभाग द्वारा इसकी जांच होगी
नई दिल्ली। भारत के स्कॉर्पीन पनडुब्बी कार्यक्रम से जुड़े दस्तावेज लीक मामले में नया खुलासा हुआ है। ऑस्ट्रेलियाई अखबार दि ऑस्ट्रेलियन ने जो खबर छापी है, उस खबरों से शक की सुई फ्रांसीसी नौसेना के एक पूर्व अधिकारी की ओर घूम रही है। यह अधिकारी पनडुब्बी बनाने वाली फ्रेंच कंपनी डीसीएनएस के साथ एक सब-कॉन्ट्रेक्टर के तौर पर जुड़ा हुआ है। ये डेटा फ्रांस में वर्ष 2011 में तैयार किया गया था। फ्रांसीसी फर्म ने शुरुआती तौर पर भारत की ओर से खुफिया जानकारी लीक होने की बात कही थी। कंपनी का कहना था कि उसकी भूमिका सप्लाई तक है और तकनीकी डेटा तक उसकी पहुंच नहीं है।
अन्य देश भी चिंतित
सूत्रों के अनुसार डीसीएनएस की चिली को युद्धपोत बेचने और रूस को पानी व जमीन दोनों पर कारगर जहाज बेचने की योजना से जुड़े दस्तावेज भी लीक हुए हैं। इससे इन देशों में भय का वातावरण है। इन दस्तावेजों के लीक होने के बाद दुनिया का ध्यान इस तरफ गया है। ब्राजील, मलेशिया और चिली की नौसेनाएं भी स्कॉर्पीन पनडुब्बी के ही वेरिएंट इस्तेमाल करती हैं। इसके साथ ही डीसीएनएस ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया को पनडुब्बी सप्लाई करने का ठेका हासिल किया है।
फ्रांसीसी विभाग करेगा मामले की जांचः निर्माता कंपनी
वहीं फ्रांस की जहाज निर्माता कंपनी डीसीएनएस ने कहा कि कंपनी द्वारा भारत में निर्माणाधीन स्कॉर्पियन पनडुब्बियों से संबंधित अहम जानकारियां लीक होने के मामले की जांच उचित फ्रांसीसी विभाग द्वारा करवाया जाएगा। डीसीएनएस द्वारा डिजाइन किए गए स्कॉर्पियन पनडुब्बियों का निर्माण 3.5 अरब डॉलर की लागत से मुंबई के मझगांव गोदी में हो रहा है।
डीसीएनएस ने एक वक्तव्य जारी कर कहा कि डीसीएनएस भारत के लिए निर्मित हो रहे स्कॉर्पियन पनडुब्बियों से संबंधित अहम डाटा लीक होने के बारे में आस्ट्रेलियाई मीडिया में प्रकाशित लेखों से अवगत है। वक्तव्य में आगे कहा गया है कि यह एक गंभीर मसला है और फ्रांस की रक्षा सुरक्षा मामलों को देखने वाली राष्ट्रीय स्तर के विभाग द्वारा इसकी जांच होगी। जांच में लीक हुए दस्तावेज का सटीक पता लगाया जाएगा, इससे डीसीएनएस के ग्राहक को होने वाले संभावित जोखिम का आंकलन किया जाएगा और इसके लिए जिम्मेदार व्यक्तियों का भी पता लगाया जाएगा।
फ्रांस ने भी दिए जांच आदेश
खबरों के मुताबिक, मामले से संबंधित दस्तावेज एक फ्रांसीसी कंपनी से लीक हुए हैं। पर्रिकर ने कहा कि यह पता लगाया जा रहा है कि आखिर किस तरह का डेटा लीक हुआ है। फ्रांस ने भी इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
ऑस्ट्रेलिया ने लीक को बताया चिंताजनक
गौरतलब है कि इसी पनडुब्बी के अन्य वेरिएंट मलेशिया और चिली इस्तेमाल करते हैं। ब्राजील भी 2018 में इन्हीं को तैनात करने वाला है। इसके अलावा इसी साल अप्रेल में ऑस्ट्रेलिया ने भी डीसीएनएस के साथ 50 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का सौदा किया है। हालांकि ऑस्ट्रेलियन प्रधानमंत्री मैलकम टर्नबुल ने इस लीक से कॉन्ट्रैक्ट पर होने वाले असर को नकारा है। मैलकम ने कहा है कि लीक चिंताजनक है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया स्कॉर्पियन के जिस मॉडल को खरीद रहा है वह बिल्कुल अलग है।
लीक दस्तावेजों से पनडुब्बी की क्षमता प्रभावित नहीं होगी : नौसेना
भारतीय नौसेना ने कहा कि स्कॉर्पियन पनडुब्बी के लीक दस्तावेजों से इसके राडार से बच निकलने और इसकी संचालन क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। ऐसा इस वजह से क्योंकि यह विस्तृत ब्योरा पुराना है और इस पनडुब्बी का पता केवल खुले समुद्र में उतरने के बाद ही चलेगा। फ्रांस की कंपनी डीसीएनएस, जिसने भारत में बनाए जाने वाले पोतों की डिजाइन तैयार की है, उससे जुड़े दस्तावेज लीक हो गए हैं। इससे डर यह हो गया है कि इससे इस पनडुब्बी के राडार से बच निकलने वाले पहलू से समझौता करना पड़े। सूत्र ने कहा कि दस्तावेज लीक नहीं होने चाहिए, लेकिन इसे लेकर चिंचित होने की कोई बात नहीं है। बताया जाता है कि स्कॉर्पियन पनडुब्बियों की लीक हुई सूचना इसके प्रदर्शन एवं तकनीकी मैन्यूअल से जुड़ी है। इसमें ध्वनि संबंधी गुण, शोर का स्तर और पनडुब्बी की ध्वनि कितनी प्रसारित हुई, इसका विस्तृत ब्योरा है। नौसेना मुख्यालय के सूत्रों ने हालांकि कहा है कि वह वर्ष 2011 का पुराना दस्तावेज है। नौसेना मुख्यालय में दस्तावेजों का विश्लेषण किया जा रहा है।