मृत्यु दंड खत्म करने के पक्ष में हैं पूर्व राष्ट्रपति कलाम
उल्लेखनीय है कि विधि आयोग ने जनता से क्या मौत की सजा खत्म होनी चाहिए? पर राय मांगी थी
नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने मृत्यु दंड को खत्म करने की वकालत की है। उन्होंने विधि आयोग से कहा है कि वह अपनी पुरानी रिपोर्ट पर फिर विचार करे, जिसमें उसने मृत्यु दंड को बहाल रखने के लिए कहा था। उल्लेखनीय है कि विधि आयोग ने जनता से क्या मौत की सजा खत्म होनी चाहिए? पर राय मांगी थी। पूर्व राष्ट्रपति का यह विचार उसी राय का हिस्सा है। विधि आयोग ने अपनी 35वीं रिपोर्ट में मृत्यु दंड रखे जाने की सिफारिश की थी।
पूर्व राष्ट्रपति कलाम ने कहा कि राष्ट्रपति के रूप में ऎसे मामलों के निश्चय करने में उन्हें बड़ी तकलीफ के दौर से गुजरना पड़ा है। मृत्यु दंड का मामला भी उनके लिए इन्हीं में से एक मामला था। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने पैनल को भेजी अपनी राय में लिखा है कि हम सब ऊपर वाले द्वारा बनाए जाते हैं। इंसान द्वारा बनाई गई व्यवस्था इस बात के लिए सक्षम है कि वह बनाए गए साक्ष्यों के आधार पर किसी की जान ले ले। कलाम वर्ष 2002 से 2007 तक देश के राष्ट्रपति रह चुके हैं। उस दौरान उन्होंने पश्चिम बंगाल के धनंजय चटर्जी की मौत की सजा बरकरार रखी थी।
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि जब वह राष्ट्रपति भवन में थे तो उन्होंने एक अध्ययन कराया था। अध्ययन के परिणामों से वे आश्चर्यचकित रह गए कि ऎसे सभी मामले जो लम्बित थे, उन सभी के पीछे सामाजिक और आर्थिक कारण थे। उल्लेखनीय है कि विधि आयोग को करीब 400 लोगों के विचार मिले हैं। इनका आकलन किया जा रहा है।
आयोग ने इन विचारों पर निष्कर्ष के लिए 11 जुलाई को एक बैठक बुलाई है जिसमें सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के अलावा अकादमिक, राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया है। अंतिम रिपोर्ट अगले माह सुप्रीम कोर्ट में पेश की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 15 लोगों की फांसी की सजा को कम करते हुए विधि आयोग से मृत्यु दंड के प्रावधान को फिर से दोबारा देखने के लिए कहा था।
Home / Miscellenous India / मृत्यु दंड खत्म करने के पक्ष में हैं पूर्व राष्ट्रपति कलाम