सरकार का मानना है कि कोई
कार्रवाई न होने से इस तरह की गतिविधियों को बढ़ावा ही मिलता रहा है और नियमों का
उल्लंघन की घटनाएं बढ़ती ही जा रहीं हैं। सरकार इस विचार में हैं कि नियामक
बनाकर इस तरह की गतिविधियां रोकी जाएं। सूत्रों के अनुसार सरकार ने इस संदर्भ में
सभी पक्षों से विचार-विमर्श करना शुरू कर दिया है जो अगस्त तक चलेगा।]
उधर दवा
उद्योग से जुड़े लोगों ने कहा कि कोई अंतिम निर्णय साल के अंत तक ही लिया जा सकेगा
और कोई बदलाव हुआ भी तो वह अगले साल से ही लागू किया जा सकेगा। सूत्रों के
अनुसार पिछले सप्ताह दवा उद्योग, उपभोक्ताओं और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओंकी बैठक में
सरकार ने कोड को वैधानिक बनाने की इच्छा से अवगत कराया है। उल्लेखनीय तथ्य तो यह है
कि दवा उद्योग भी इस तरह की आचार संहिता बनाने के पक्ष में है।