रिजर्व बैंक ने नोटबंदी के मद्देनजर जनधन योजना के तहत खुले खातों में नौ नवंबर के बाद जमा हुए पुराने नोटों के लिए निकासी की सीमा तय
मुंबई। रिजर्व बैंक ने नोटबंदी के मद्देनजर प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खुले खातों में नौ नवंबर के बाद जमा हुए पुराने नोटों के लिए निकासी की सीमा तय कर दी है। अब एक माह में केवाईसी वाले जनधन खातों से 10000 रुपए और बगैर केवाईसी वाले खातों से 5000 रुपए निकाले जा सकेंगे।
रिजर्व बैंक ने बैंकों जारी आदेश में आज कहा कि नोटबंदी के मद्देनजर नौ नवंबर के बाद बैंको में जमा पुराने नोटों की धनराशी में से जिन जनधन खाता के केवाईसी हैं उनसे हर माह 10000 रुपये निकाले जा सकेंगे, लेकिन बैंक के शाखा प्रबंधक खाताधारकों के निकासी की वास्तविकता की जांच को सही पाने पर 10000 रुपए से अधिक की निकासी की अनुमति दे सकते हैं। बगैर केवाइसी वाले खातों से सिर्फ 5000 रुपये मासिक निकाले जा सकेंगे।
रिजर्व बैंक ने कहा कि बेनामी संपत्ति लेनदेन एवं मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत कानूनी कार्रवाइयों और मनी लॉन्ड्रिंग की चंगुल से किसानों और जनधन खाताधारकों को बचाने के उद्देश्य से यह आदेश दिया गया है। उल्लेखनीय है कि 10 से 27 नवंबर तक जनधन खातों में 27000 करोड़ रुपये के पुराने नोट जमा कराए गए हैं और किसानों के भी खातों में भारी संख्या में पुराने नोट जमा कराए जा रहे हैं। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि काले धन को सफेद बनाने के लिए इनका उपयोग किया जा रहा है।
बता दें कि 8 नवंबर को केंद्र सरकार की तरफ से पांच सौ और एक हजार के पुराने नोट बंद करने के फैसले के बाद अचानक जनधन खातों में ज्यादा रकम जमा होने लगी है। कहा जा रहा है कि आरबीआई के इस फैसले के बाद जनधन खातों के जरिए अपना कालाधन सफेद कर रहे लोगों पर शिकंजा कस सकता है। वित्त मंत्रालय को भी लग रहा है कि नोटंबीद के बाद जनधन खातों के जरिए कुछ लोग अपने काले धन को सफेद करने की कोशिश कर रहे हैं। नोटबंदी के बाद से अबतक 25 करोड़ जनधन खातों में 65 हजार करोड़ से ज्यादा रुपए जमा हुए हैं। वित्त मंत्रालय की नजर ऐसे संदिग्ध खातों पर हैं और इनपर कभी भी कार्रवाई की जा सकती है.