जाट आरक्षण मामले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी सरकार
Published: Mar 29, 2015 10:30:00 pm
जाटों का आरक्षण रद्द करने के बाद यूपीएससी ने सिविल सर्विस मेन परीक्षा के परिणामों को घोषित करने पर रोक लगा दी है
नई दिल्ली। जाट आरक्षण को खत्म करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब केन्द्र सरकार इस मामले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की तैयारी कर रही है। जाटों का आरक्षण रद्द करने के बाद यूपीएससी ने सिविल सर्विस मेन परीक्षा के परिणामों को घोषित करने पर रोक लगा दी है।
कोर्ट के किसी भी फैसले के खिलाफ एक माह के अंदर ही पुनर्विचार याचिका दाखिल की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने गत 17 मार्च को जाटों को आरक्षण देने वाली अधिसूचना रद्द कर दी थी। अब सरकार को 17 अप्रैल से पहले पुनर्विचार याचिका दाखिल करनी होगी। याचिका में सरकार न सिर्फ आरक्षण रद करने के फैसले को चुनौती देगी, बल्कि यूपीएससी जैसी परीक्षाओं के लटके नतीजों की दुहाई देते हुए कोर्ट से इस मामले पर स्थिति साफ करने के लिए गुहार लगाएगी।
इस कदम की शुरूआत जाट नेताओं के प्रतिनिधिमंडल की शुRवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात करने के बाद हुई. इन लोगों ने जाट समुदाय के लिए ओबीसी आरक्षण को खत्म करने के मुद्दे पर प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी । एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि समीक्षा याचिका दायर करने के बारे में फैसला जल्दी ही लिया जाएगा। जाट नेता 17 मार्च को सुनाए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की समीक्षा की मांग कर रहे हैं। कोर्ट ने अपने इस फैसले में यूपीए सरकार की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया था, जिसमें इस समुदाय के लिए आरक्षण को नौ राज्यों में विस्तार देने की बात कही गई थी। हरियाणा की बीजेपी सरकार जाटों के लिए नौकरियों में आरक्षण के समर्थन में खुलकर सामने आई है। सूत्रों ने कहा कि सिविल सर्विसेज एग्जाम का रिजल्ट अब तक आ जाना चाहिए थे, लेकिन 17 मार्च के आदेश चलते परीक्षा परिणाम अभी तक रूका हुआ है।