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कॉल ड्रॉप पर सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों से की बात, जल्द मिलेगा निजात

Published: Apr 27, 2015 11:25:00 pm

ऎसी पहली बार हुआ है जब केंद्र सरकार ने की सीधे तौर पर सेवा सुधारने के लिए कंपनियों को झाड़ लगाई है।

CALL DROP

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नई दिल्ली। कॉल ड्रॉप के मामले पर सोमवार को सरकार ने टेलीकॉम सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों के साथ कॉल ड्रॉप समेत ग्राहकों की सेवा से जुड़े अन्य मुद्दों पर बातचीत की। दूरसंचार सचिव राकेश गर्ग की अध्यक्षता में हुई बैठक में मोबाइल ऑपरेटरों को साफतौर पर कह दिया गया कि अगर उन्होंने कॉल ड्रॉप, गलत बिलिंग जैसे ग्राहकों की समस्याओं का समाधान नहीं किया तो उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

ऎसी पहली बार हुआ है जब केंद्र सरकार ने की सीधे तौर पर सेवा सुधारने के लिए कंपनियों को झाड़ लगाई है। दरअसल काल ड्राप, अनाप-शनाप बिल भेजे जाने, बिना पूछे पैकेज बदलने, इंटरनेट डाटा का पैकेज से ज्यादा पैंसा वसूलने, कनेक्शन बंद करने के बावजूद लगातार बिल भेजे जाने आदि की शिकायतें बढ़ रही हैं। कई सांसदों ने इस संबंध में संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद से शिकायत की थी। साथ ही संसद में मामले भी उठे थे। इसके अलावा मीडिया में भी मुद्दे छाए रहे हैं। इस पर प्रसाद ने संचार सचिव राकेश गर्ग को कंपनियों से बात करने को कहा।

बैठक में सचिव ने कंपनियों से दो टूक कहा कि वे कॉल ड्राप की शिकायतें दूर करें। उन्होंने कहा कि व्यस्त समय में कॉल ड्राप की समस्या गंभीर रूप धारण कर चुकी है। साथ ही कंपनिया बिल प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएं। बिल से जुड़ी शिकायतों का तुरंत समाधान करें। बार-बार पैकेज नहीं बदले जाएं और ग्राहकों को समझाने के बाद उनसे अनुमति जरूर ली जाए। इसी प्रकार भ्रामक डाटा पैकेज से लोगों को भ्रमित नहीं करें। ग्राहक कंपनियों के पैकेजों को समझ नहीं पाते और फिर बिल पर विवाद बढ़ता है।

टेलीकॉम कंपनियों ने इन समस्याओं को दूर करने का भरोसा दिलाया है। कंपनियों की तरफ से एक चिंता यह जाहिर की गई कि उन्हें नए टावर लगाने में दिक्कत हो रही है तथा स्थानीय निकायों के सहयोग नहीं मिलने और जनता में रेडिएशन का भय होने की वजह से पुराने टावर भी हटाए जा रहे हैं। यहां तक कि निकाय पुराने टावरों की मरम्मत के लिए भी जरूरी अनुमति प्रदान करने में देरी कर रहे हैं। दूरसंचार सचिव ने कहा कि कंपनियां लोगों में रेडिएशन को लेकर जागरूकता फैलाएं और लोगों को बताएं कि उनके टावर वैश्विक मानकों के अनुरूप कार्य कर रहे हैं तथा इससे कोई खतरा नहीं है।

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