सरकार ने हवाई अड्डों पर क्षमता से अधिक उड़ानों का बोझ (कंजेशन) कम करने के लिए आंंकड़े एकत्र करने का काम शुरू किया
नई दिल्ली। सरकार ने हवाई अड्डों पर क्षमता से अधिक उड़ानों का बोझ (कंजेशन) कम करने के लिए आंंकड़े एकत्र करने का काम शुरू कर दिया है। आंंकड़ों के विश्लेषण के बाद सरकार इस दिशा में जरूरी कदम उठायेगी। नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने यहांं बताया कि सरकार ने देश के 30 प्रमुख हवाई अड्डों के आंंकड़े एकत्र किये हैं। उन्होंने कहा कि हमने एक-एक हवाई अड्डे के लिए आने वाले समय में वहांं संभावित कंजेशन का पूर्वानुमान तैयार किया है। इससे हम यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या किसी हवाई अड्डे पर सिर्फ मौजूदा आधारभूत ढाँचे के बेहतर इस्तेमाल से ही उसकी क्षमता बढ़ायी जा सकती है या वहांं नये टर्मिनल बनाने की जरूरत है या कहीं बिल्कुल नया हवाई अड्डा बनाना ही एकमात्र विकल्प है।
उल्लेखनीय है कि सबसे ज्यादा कंजेशन इस समय मुंबई हवाई अड्डे पर है। इससे वहांं रोजाना उड़ानों में 30 से 45 मिनट तक की देरी हो रही है। दिल्ली का इंदिरा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भी करीब-करीब अपनी पूरी क्षमता पर काम कर रहा है। सिन्हा ने बताया कि भारतीय विमान पत्तन प्राधिकरण काफी लंबे समय से ये आंंकड़े एकत्र करता रहा है जो काफी मददगार साबित हो रहे हैं। यदि सिर्फ मौजूदा ढाँचों में सुधार या उनके बेहतर इस्तेमाल से कंजेशन कम होगा तो इसमें कोई विशेष समस्या नहीं है।
उन्होंने कहा कि यह जरूर सुनिश्चित करना होगा कि नये टर्मिनल या रनवे बनाते समय उड़ानें बाधित न हों। लेकिन, यदि बिल्कुल नया हवाई अड्डा बनाना है तो इसमें कई चुनौतियाँ हैं। सबसे बड़ी चुनौती जमीन अधिग्रहण की होती है। इसके बाद पूँजी की व्यवस्था भी एक समस्या है। उन्होंने कहा कि यह ऐसा विषय है जिसमें लंबा समय लगेगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय के साथ राज्य सरकारों समेत सभी संबद्ध पक्ष इस मुद्दे को गंभीरता से लें।