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खत्म होगा पांचवीं, आठवीं में फेल न करने का नियम, घटेगा बस्ते का बोझ

Published: Aug 20, 2015 11:54:00 am

शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) के तहत आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति को खत्म करने का रास्ता साफ हो गया है

Smriti Irani

Smriti Irani

नई दिल्ली। शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) के तहत आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति को खत्म करने का रास्ता करीब-करीब साफ हो गया है। केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की बैठक में सभी राज्यों ने इस मुद्दे पर आमराय व्यक्त की है। अगले 15 दिनों में राज्यों से इस बारे में लिखित अनुरोध देने को कहा गया है। राज्यों ने यह भी कहा कि इस मामले में अब ज्यादा देर नहीं की जाए और नए सत्र से ही इस नीति को बदल दिया जाए। उसके बाद केंद्र सरकार इस प्रावधान को बदलने की प्रक्रिया पर आगे बढ़ेगा।

बैठक में राजस्थान के शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने मांग कहा कि आठवीं तक विद्यार्थी को अनुत्तीर्ण नहीं करने के नियम को तत्काल प्रभाव से बदला जाना चाहिए। देवनानी ने सुझाव दिया कि शिक्षा को युगानुकूल बनाते हुए सूचना-प्रौद्योगिकी के साथ भारतीय दर्शन, संस्कृति, योग और नैतिक शिक्षा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।



10वीं की बोर्ड परीक्षा पर फैसला नहीं
कक्षा 1 से लेकर 8 तक के छात्रो को अब क्लास में फेल किया जायेगा या नहीं उस पर फैसला एक महीने बाद मानव संसाधन मंत्रालय करेगा। सेंट्रल एडवाइजरी बोर्ड ऑफ एजुकेशन (सी एबीई) की बैठक में ये फैसला लिया गया। नो डिटेंशन पालिसी के ऊपर ढाई साल पहले एक समिति बनायीं गयी थी, जिसकी रिपोर्ट आज सीएबीई में रखी गयी। इस रिपोर्ट में नो डिटेंशन को एक ही साथ खत्म करने की बात कही गयी है।। इस रिपोर्ट से सभी राज्यों के शिक्षा मंत्री भी सहमत थे। लेकिन किसी भी फैसले को लेने से पहले मानव संसाधन मंत्री ने सभी राज्यों को लिखित में अपना विचार मंत्रालय को भेजने को कहा है।

देवनानी ने क्या कहा
शिक्षा नीति में परिवर्तन के लिए एक स्वतंत्र शिक्षा नियामक आयोग का गठन किया जाए
स्वच्छ भारत मिशन के तहत राजस्थान देश का पहला राज्य है जहां सभी विद्यालयों में शौचालय
विद्यालयों को विद्युत सुविधा से जोड़ने के लिए राज्य को अतिरिक्त मदद मिलनी चाहिए
राजस्थान में पिछले तीन वर्षों में सरकारी विद्यालयों का नामांकन 12 लाख से भी कम हो गया था। इस बार सात लाख से ज्यादा नए नामांकन भी किए गए।
कक्षा में प्रवेश की उम्र 6 साल है जबकि तीन साल के बच्चे स्कूल आ रहे हैं। इससे सरकारी स्कूल नामांकन में पिछड़ रहे हैं।

बस्ते का बोझ हल्का

घटेगा बस्ते का बोझ-बैठक में बस्ते के बोझ घटाने के उपायों पर भी चर्चा की गई। सभी राज्य इस पर सहमत थे कि बस्ते का बोझ कम होना चाहिए। राज्यों द्वारा इस मुद्दे पर अपनाई जा रही बेहतरीन कोशिशों पर भी चर्चा हुई। इस मुद्दे पर सभी राज्यों के बेस्ट प्रैक्टिस को लेकर व्यापक नियामवली जारी की जाएगी और इसे लागू किया जाएगा।

3 समितियां गठित

स्मृति ईरानी ने स्पष्ट किया कि इसके लिए तीन समितियां गठित की गई है जो जल्द ही अपनी रिपोर्ट पेश करेंगी। सारे राज्य इस मुद्दे पर एकमत हैं। पिछली सरकार ने इस मुद्दे पर एक उप समिति गठित की थी जिसके सदस्य बिहार के शिक्षा मंत्री पी. के. शाही इस बैठक में भी मौजूद थे और अपने अनुभव बताए।


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