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सैनिक संचार उपग्रह जीसैट-6 का सफल प्रक्षेपण

Published: Aug 27, 2015 07:46:00 pm

आसमान में बादल छाए रहने और बरसात के बावजूद जीसैट-6 को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित कर दिया गया

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श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश)। स्वदेश निर्मित क्रायोजेनिक इंजन चालित अंतरिक्ष यान जीएसएलवी-डी6 ने 2117 किलोग्राम वजनी अत्याधुनिक सैनिक संचार उपग्रह जीसैट-6 को लेकर गुरूवार शाम 4.52 मिनट पर यहां के सतीष धवन अंतरिक्ष केन्द्र से सफल उड़ान भरी। इस अभियान की सफलता से देश ने अंतरिक्ष अभियानों के क्षेत्र में एक जबरदस्त छलांग लगाई है।

जीएसएलवी-डी 6 की इस उड़ान के साथ भारत प्रक्षेपण यानों में क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल कर सफल अंतरिक्ष अभियानों को अंजाम देने वाले पांच प्रमुख देशों-अमरीका, रूस, चीन, जापान और फ्रांस के समूह में शामिल हो गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों को भेजे बधाई संदेश में कहा, एब बार फिर हमारे वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में बुलंदी के झंडे गाड़े। इसरो को जीसैट-6 के सफल प्रक्षेपण के लिए बधाई। जीएसएलवी-डी6 की सफल उड़ान के बाद जोश और खुशी से लबरेज वैज्ञानिकों ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख ए एस किरण कुमार को गले लगाकर और हाथ मिलाकर बधाई दी।

कुमार ने कहा कि पिछली सभी नाकामयाबियों को दरकिनार करते हुए आज की सफलता से क्रायोजेनिक इंजन अपने नॉटी बॉय की संज्ञा को पीछे छोड़ते हुए सम्मान का पात्र बन गया है। अभियान के निदेशक उमा महेश्वरन ने कहा कि स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन चलित 49.1 मीटर लंबे जीएसएलवी की सफल उड़ान से साबित कर दिया है कि यह क्रियाशील प्रक्षेपण यान बन गया है।

इसरो प्रमुख कुमार ने कहा कि इस अभियान की सफलता ने साबित कर दिया है कि भारत अब जटिल क्रायोजेनिक तकनीक में महारत हासिल कर चुका है। अब भारत स्वदेश निर्मित क्रायोजेनिक इंजन की मदद से दो टन वजनी उपग्रहों को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित कर सकता है। इस सफलता से भारत के जीएसएलवी अभियानों को जबरदस्त बल मिलेगा।

इसरो से जुड़े सूत्रों ने कहा कि दो टन वजनी संचार उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करने के लिए क्रियाशील प्रक्षेपण यान का होना बेहद जरूरी था और आज की सफलता इस दिशा में एक बड़ी सफलता है। जीएसएलवी की यह उड़ान पूरी तरह से सफल रही क्योंकि जीसैट-6 को भूस्थिर स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में स्थापित कर दिया गया है।

इस उपग्रह को कक्षा में 19.95 के झुकाव पर कुछ इस तरह से स्थापित किया गया है कि पृथ्वी से इसकी सबसे कम दूरी 170 किलोमीटर और सबसे अधिक दूरी 35 हजार 975 किलोमीटर रहेगी। पिछले साल जनवरी में जीएसएलवी-डी 5 की सफल उड़ान के 19 महीनों बाद यह इसरो का पहला जीएसएलवी मिशन है। यह प्रक्षेपण तमिलनाडु के महेंद्रगिरि स्थित लिक्विड प्रोपल्शन सेंटर में स्वदेश निर्मित “हाई थ्रस्ट क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन” के पूरे समयकाल 800 सेकंड तक हुए सफल परीक्षण के बाद किया जा रहा है।

सूत्रों ने बताया कि जीएसएलवी-डी 6 की यह उड़ान भारत के जीएसएलवी अभियान की नौवीं उड़ान होगी और यह तीसरा मौका होगा जब 49.1 मीटर लंबे जीएसएलवी-डी6 में स्वदेश निर्मित उच्च स्तर के क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल किया जाएगा।

सूत्रों ने बताया कि अत्यधुनिक संचार उपग्रह जीसैट-6 देश का 25वां भूस्थिर संचार उपग्रह है और जीसैट श्रंखला का 12 उपग्रह है। यह उपग्रह देश मे एस-बैंड की संचार सुविधा मुहैया कराएगा। जीटीओ मे पहुंचने के बाद जीसैट-6 अंतिम भूस्थिर कक्षा में पहुंचने के लिए अपने ही प्रणोदक का इस्तेमाल करेगा और 83 डिग्री पूर्वी देशांतर पर स्थित होगा।
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