करोड़पति कर्मचारियों की तनख्वाह नौ हजार से 20 हजार रुपये मासिक है अब कंपनियों में कर्मचारियों को रोके रखना एक बड़ी चुनौती है
अहमदाबाद। गुजरात के साणंद की फैक्टरी मालिकों के सामने समस्या है कि करोड़पति मजदूरों चपरासी या सिक्योरिटी गार्ड को वो कैसे हैंडल करें। कैसे उन्हें अपनी कंपनियों में रोककर रखें, अच्छा काम करने के लिए समझाएं। बीते सात सालों में गुजरात सरकार ने चार हजार हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया है। इसके बदले में जमीन के मालिकों को करोड़ों रुपये मिले हैं। जिससे वे रातों-रात करोड़पति बन गए।
150 कर्मचारी करोड़पति
रविराज फोइल्स लिमिटेड के 300 कर्मचारियों में से करीब 150 कर्मचारियों का बैंक बैलेंस एक करोड़ रुपये है। ये लोग फैक्ट्रियों में मशीन ऑपरेटर्स, फ्लोर सुपरवाइजर्स, सिक्योरिटी गार्ड और यहां तक कि चपरासी का काम कर रहे हैं। साल 2008 में पश्चिम बंगाल के सिंगूर से जब टाटा मोटर्स ने यहां अपना प्लांट लगाया था, तब से साणंद औद्योगीकरण का बड़ा हब बनकर उभरा है। जीआईडीसी के तहत यहां 200 छोटी-बड़ी कंपनियों के यूनिट स्थापित किए गए हैं। जिन लोगों को भूमि अधिग्रहण के बदले में मोटी रकम मिली है, उन्होंने इसे सोने, बैंक डिपॉजिट्स आदि में निवेश कर रखा है। टाटा का प्लांट आने से पहले यहां सिर्फ दो बैंकों की नौ शाखाएं ही थीं, जिनमें करीब 104 करोड़ रुपये जमा रहता था। अब बीते कुछ सालों से यहां 25 बैंकों की 56 शाखाएं हैं, जिनमें कुल जमा तीन हजार करोड़ रुपये है।
कर्मचारियों से नौकरी करवाना चुनौती
करोड़पति कर्मचारियों की तनख्वाह नौ हजार से 20 हजार रुपये मासिक है अब कंपनियों में कर्मचारियों को रोके रखना एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि अब उनकी आय का एक मात्र साधन नौकरी नहीं है। साणंद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सेक्रटरी शैलेश कहते हैं कि रातों-रात करोड़पति होने के बाद कई कर्मचारियों ने नौकरी छोडऩा शुरू कर दिया था। जैसे-तैसे कई कर्मचारियों को वापस लाया गया।