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पाकिस्तान को मिलकर घेरेंगे भारत और अफगानिस्तान

Published: Dec 01, 2016 11:06:00 am

Submitted by:

Rakesh Mishra

हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन : 40 देशों के इस सम्मेलन में पाकिस्तान की ओर से सरताज अजीज शामिल होने आ रहे हैं

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नई दिल्ली। भारत और अफगानिस्तान ने साफ कर दिया है कि दोनों देश हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में आतंकवाद का मुद्दा प्रमुखता से उठाएंगे। दोनों देश इस बात को काफी समय से कह रहे हैं कि वह पाकिस्तान की ओर से फैलाए जा रहे आतंकवाद के शिकार हैं। नगरोटा में अटैक के बाद भारत और अफगानिस्तान हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में पाक को घेरने की तैयारी कर रहे हैं। साथ ही, सम्मेलन के दौरान भारत और पाक के बीच अलग बातचीत की संभावनाएं खत्म होती नजर आ रही हैं।

सम्मेलन में होगी आतंक पर चर्चा
हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन 3-4 दिसंबर को अमृतसर में होने जा रहा है। इस सम्मेलन का मुख्य फोकस अफगानिस्तान का विकास होगा, लेकिन नगरोटा में अटैक के बाद इसमें आतंकवाद का मुद्दा हावी होने के आसार हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने यह साफ कर दिया है कि सम्मेलन में आतंकवाद पर चर्चा होगी और इसके सॉर्स यानि पाकिस्तान का जिक्र होगा।

सुषमा स्वराज की जगह जेटली होंगे शामिल
भारत में अफगानिस्तान के राजदूत शैदा अब्दाली ने कहा, ‘हमारे देश ने काउंटर टेरर फ्रेमवर्क तैयार किया है और हमें उम्मीद है कि हार्ट ऑफ एशिया में इसे स्वीकार कर लिया जाएगा। अफगानिस्तान का मानना है कि इस फ्रेमवर्क में इस तरह के प्रावधान हैं जिनसे सीमा पार से फैलाए जा रहे आतंकवाद पर रोक लगाने में मदद मिलेगी।’ हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में वित्त मंत्री भारतीय प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व करेंगे। सुषमा स्वराज अस्वस्थ होने के कारण इसमें भाग नहीं ले सकेंगी।

मोदी और गनी करेंगे उद्घाटन
सम्मेलन का औपचारिक उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी 4 दिसंबर को करेंगे। अफगानिस्तान हार्ट ऑफ एशिया का स्थायी अध्यक्ष है जबकि भारत मेजबान होने के नाते इस बार सह अध्यक्ष है। करीब 40 देशों के इस सम्मेलन में पाकिस्तान की ओर से सरताज अजीज शामिल होने आ रहे हैं। वह भले ही पीएम के विदेशी मामलों के सलाहकार हों, लेकिन एक तरह के पाकिस्तान के विदेश मंत्री की हैसियत रखते हैं। अजीज ने हाल में कहा था कि अमृतसर में संबंध सुधारने का अच्छा मौका मिल सकता है। दूसरी तरफ, उन्होंने एक हाई लेवल कमिटी भी बनाने का ऐलान कर दिया जो कश्मीर पर नीति बनाएगी और नरेंद्र मोदी के विरोधियों से संपर्क करेगी। भारत में इसे राजनयिक हलकों में विरोधी रुख के तौर पर देखा जा रहा है।

वहीं, भारत में पाक के उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने कहा है कि अगर भारत से बातचीत का प्रस्ताव मिला तो हम पॉजिटिव तरीके से विचार करेंगे। लेकिन दोनों पक्षों ने कोई प्रस्ताव नहीं पेश किया है। यहां यह भी सवाल उठाया जा रहा है कि क्या पाकिस्तान की राजनीति पर कंट्रोल रखने वाली सेना बातचीत की इच्छुक है? सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारत में लगातार घुसपैठ और सुरक्षा बलों पर हमलों के मामलों में पाकिस्तान का हाथ होने के संकेत मिल रहे हैं। जानकार मानते हैं कि वहां सेना प्रमुख के पद पर रहील शरीफ के बाद कमर जावेद बाजवा के आने से भी सेना का रुख बदलने के आसार नहीं हैं। भारत पहले ही साफ कर चुका है कि बातचीत के लिए पाक को पहले आतंकवाद पर रोक लगानी होगी।
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