पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रोहित अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय से ताल्लुक नहीं रखता था
नई दिल्ली। हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में आत्महत्या करने वाला छात्र रोहित वेमुला दलित नहीं था। यह बात मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा गठित एक सदस्यीय जांच पैनल ने कही है। एक अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार पैनल ने अपनी रिपोर्ट यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन को सौंप दी है। सूत्रों के मुताबिक जांच के लिए गठित न्यायमूर्ति (रिटायर्ड) एके रूपनवल आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रोहित वेमुला दलित समुदाय से ताल्लुक नहीं रखते थे। बता दें कि पूर्व एचआरडी मिनिस्टर स्मृति ईरानी ने इस एक सदस्यीय पैनल का गठन किया था।
पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रोहित अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय से ताल्लुक नहीं रखता था। मानव संसाधन मंत्रालय ने इलाहाबाद हाइकोर्ट के पूर्व न्यायधीश एके रूपनवाल के नेतृत्व में एक पैनल ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूसीजी) को अगस्त के पहले सप्ताह में अपनी रिपोर्ट सौंपी हैं। बता दें कि केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज और थावरचंद गहलोत ने भी रोहित के दलित नहीं होने का दावा किया था। सुषमा ने कहा था कि रोहित वडेरा समुदाय से संबंध रखता था, जो कि ओबीसी में आते हैं। बीजेपी ने आरोप लगाया था कि पूरे मामले को सियासी रंग दिया जा रहा है, इसलिए रोहित को दलित बताया गया।
रोहित वेमुला की आत्महत्या के मामले में हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर अप्पा राव और केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला भी दर्ज किया गया था। बता दें कि रूपनवाल ने रिपोर्ट सबमिट कराए जाने की पुष्टि नहीं कि है, लेकिन इससे इनकार भी नहीं किया है। वहीं हाल में मानव संसाधन विकास मंत्री बने प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि वह शहर से बाहर थे और फिलहाल उन्होंने रिपोर्ट नहीं देखी है।