देश में नकदी की कमी नहीं है, जबकि देश के सभी हिस्सों में पर्याप्त मात्रा में नकदी पहुंचाना एक बहुत बड़ी चुनौती है
मुंबई। नोटबंदी के बाद महीने की पहली तारीख को तनख्वाह बांटने की चुनौती बैंकिंग सेक्टर के सामने है, लेकिन इस चुनौती का सामना करने के लिए सारी तैयारियां पूरी कर लेने का दावा इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) के प्रमुख राजीव ऋषि ने किया है। उन्होंने कहा कि जिस शाखा में 100 से अधिक पेंशनर्स अकाउंट्स है वहां पेंशनर्स के लिए अलग कतार हों। इसी के साथ उन्होंने कई एम्प्लायर्स को कहा था कि अपने कर्मचारियों को वे तनख्वाह के बजाए प्री-पेड काड्र्स दें।
नकदी की कमी नहीं
ऋषि ने बताया कि देश में नकदी की कमी नहीं है, जबकि देश के सभी हिस्सों में पर्याप्त मात्रा में नकदी पहुंचाना एक बहुत बड़ी चुनौती है। क्योंकि कैश पहुंचाने का काम यातायात सुरक्षा नियमों के अधीन रहकर ही किया जा सकता है, इसीलिए कुछ जगहों पर थोड़ी परेशानी महसूस हो रही है। हालांकि उन्होंने माना कि अभी तक 500 के नोट उतने नहीं हैं जितने 100 या दो हजार के नोट हैं। लेकिन हालात धीरे धीरे बदल रहे हैं।
सबको मिले कैश
इन दिनों खाते से राशि निकालने को लेकर बैंक मैनेजर से विशेषाधिकार के इस्तेमाल की बात सामने आई है। उपभोक्ता यह शिकायत करते सुने गए हैं कि किसे कितनी रकम दी जाए ये बैंक मैनेजर आम सहमति से तय कर रहे हैं जिस पर ऋषि ने बताया कि ऐसा अधिकतर लोगों की सहूलियत के लिए ही हो रहा है, ताकि जितना कैश बैंक में उपलब्ध है वो थोड़ा-थोड़ा ही सही लेकिन अधिकतर लोगों को मिल सके।
8 करोड़ 44 हजार 982 रुपए का लेनदेन
आईबीए की जानकारी के अनुसार नोटबंदी के बाद 10 नवंबर से 27 नवंबर तक 8 करोड़ 44 हजार 982 रुपए का लेनदेन हुआ। इसमें से 8 करोड़ 11 लाख करोड़ रुपए डिपॉजिट हुए हैं। 2 करोड़ 16 लाख करोड़ रुपए खातों से निकाले गए हैं, जबकि 33 हजार 948 करोड़ रुपए के नोट बदले गए हैं। नोटबंदी के फैसले के बाद रद्द किए नोटों का मूल्य 14 लाख करोड़ रुपए बताया जा रहा है।
रिजर्व बैंक ने बैंकों को दी राहत
भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को अनुमति दी कि वे अपने नकदी अधिशेष में बंद हो चुके 500 और 1000 रपये के नोट को शामिल कर सकते हैं। केंद्रीय बैंक के इस कदम से बैंकों को राहत मिल सकती है। रिजर्व बैंक ने एक अधिसूचना में कहा कि ‘500 और 1000 रुपए के पुराने नोट बड़ी मात्रा में बैंकों में जमा होने को देखते हुए यह निर्णय किया गया है कि 10 नवंबर तक बैंकों के करेंसी चेस्ट में जमा इन नोटों को गले-सड़े नोटों की श्रेणी में चेस्ट अधिशेष माना जाएगा। इसमें कहा गया है कि हालांकि ऐसी जमाओं को उनके चेस्ट अधिशेष की सीमा या नकद होल्डिंग की सीमा की गणना में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। अधिसूचना में कहा गया है कि रिजर्व बैंक फरवरी के मध्य में इस निर्णय की समीक्षा करेगा।
आकलनकर्ताओं के अनुसार पिछले हफ्ते केंद्रीय बैंक द्वारा बैंकों के लिए बढ़ाए गए नकद आरक्षित अनुपात :सीआरआर: को देखते हुए इस कदम से बैंकों को मदद मिलेगी। गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने 26 नवंबर को बैंकों के लिए सीआरआर को कुल बढ़ी जमा का 100 प्रतिशत कर दिया।