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सार्क देशों के स्टूडेंट्स को अब IIT नहीं देगी फीस में रियायत

Published: Dec 05, 2016 03:59:00 pm

अब सार्क देश के छात्रों को भी अन्य विदेशी छात्रों के समान आईआईटी को सलाना 6 लाख रुपये का भुगतान करना होगा।

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नई दिल्ली। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी (आईआईटी) ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) देशों के छात्रों को ट्यूशन फीस में 50 फीसदी की दी जा रही रियायत को खत्म करने का फैसला लिया है। यह फैसला आईआईटी कॉंसिल के चैयरमैन और एचआरडी मंत्री प्रकाश जावेडकर ने ली है। 

सत्र 2017-18 से सभी विदेशी छात्रों के लिए एक समान शुल्क संरचना लागू हो जाएगी। अब सार्क देश के छात्रों को भी अन्य विदेशी छात्रों के समान 6 लाख रुपये प्रति वर्ष का भुगतान करना होगा। वर्तमान में सार्क देश के छात्रों को रियायत के बाद आईआईटी को सलाना 2,000 डॉलर देना पड़ता है, जबकि, अन्य विदेशी छात्र सलाना 4,000 डॉलर फीस देते हैं। हाल ही में फीस की राशि में सुधार करते हुए भारतीय छात्रों की भी फीस 90,000 से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दी गई है। 

गौरतलब है कि सार्क के सदस्य देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, मालदीव, पाकिस्तान और श्रीलंका हैं। सरकार के इस फैसले पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं दी जा रही है। जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर साउथ एशियन एसोसिएशन विभाग में पढ़ाने वाले संजय कुमार भारद्वाज ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि सार्क देशों के छात्रों को यह रियायत दी जानी चाहिए, जिससे पड़ोसी राष्ट्रों से बेहतर संबंध और सहयोग स्थापित की जा सके। उन्होंने कहा कि एक क्षेत्रीय शक्तिशाली राष्ट्र होने के नाते भारत को सार्क छात्रों के रियायत को खत्म नहीं करना चाहिए। पड़ोसी देशों से एकेडमिक संबधों के आधार पर अन्य नीतियों को भी बनाने में सुविधा मिलेगी।

सरकारी सूत्रों के मुताबिक एक समान शुल्क संरचना निर्धारित करने का मुख्य उद्देश्य विदेश छात्रों में किसी एक को विशेषाधिकार या विशेष छूट को समाप्त करना है। हालांकि, भारद्वाज का कहना है कि समान फीस होने पर सार्क देश के छात्र आईआईटी में आना पसंद नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि जेएनयू सार्क देशों के छात्रों को विशेष छात्रवृति देती है, यदि संस्थान ऐसा नहीं करेगी तो छात्र समान फीस में विकसित देशों के संस्थानों में जाना पसंद करेंगे।

आपको बता दें कि प्रत्येक आईआईटी संस्थान विदेशी छात्रों के लिए 10 फीसदी सीटों को सुरक्षित रखती है। लेकिन, अभी भी इनके नामांकन लेने का दर 1 फीसदी से कम है। आईआईटी कानपुर के निदेशक, इन्द्राणी मन्ना ने कहा कि यहां 6,500 छात्रों की संख्या में केवल 50 विदेशी छात्र हैं। उन्होंने कहा कि आईआईटी ने विदेशी छात्रों की संख्या बढ़ाने को लेकर कोई विशेष पहल कभी नहीं की।

मन्ना ने कहा कि विदेशी छात्रों की संख्या बढ़ाने को लेकर आईआईटी 2017 में 6 देशों प्रवेश परीक्षा का आयोजन करेगी। इनमें इथियोपिया, श्रीलंका, बांग्लादेश, दुबई, नेपाल और सिंगापुर शामिल है।
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