नई दिल्ली। भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने जन्म से पूर्व लिंग परीक्षण को अनिवार्य बनाने के केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के सुझाव का समर्थन किया है। आईएमए ने कहा कि केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी के हाल के बयान से संकेत मिलता है कि लिंग परीक्षण पर 20 साल से लगी पाबंदी हटा ली जा सकती है।
संस्था ने एक बयान में कहा कि उन्होंने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के समक्ष विभिन्न पक्षों की ओर से रखी गई राय का हवाला दिया कि अगर हर गर्भ को पंजीकृत किया जाता है और भ्रूण का लिंग मां-बाप को बता दिया जाता है और गर्भ में बच्ची होने की स्थिति में बच्ची के जन्म पर नजर रखी जा सकती है और उसका रिकॉर्ड भी रखा जा सकता है।
संस्था के बयान में कहा गया है कि बहरहाल, इस मुद्दे पर मंत्रालय की ओर से किसी औपचारिक प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जा रहा है, लेकिन इस सुझाव पर चर्चा किए जाने की जरूरत है। गौरतलब हो कि मंत्री ने कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए लिंग परीक्षण को अनिवार्य बनाए जाने का सुझाव दिया था।
भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है जहां लिंग अनुपात बहुत खराब है। साल 2011 की जनगणना में दिखता है कि 2001 में प्रति हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या 927 थी जो सरल 2011 में घटकर 919 रह गई। अलग अलग रिपोर्ट में कहा गया है कि इस आंकड़े के साथ भारत 1961 के बाद लिंगानुपात में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है।
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