नोट बंदी के मद्देनजर अघोषित आय को पचास फीसदी कर अदायगी के साथ वैध बनाने के प्रावधान वाले कराधान विधि (दूसरा संशोधन) विधेयक 2016 को लोकसभा ने मंगलवार विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे के बीच बिना चर्चा के पारित कर दिया
नई दिल्ली। नोट बंदी के मद्देनजर अघोषित आय को पचास फीसदी कर अदायगी के साथ वैध बनाने के प्रावधान वाले कराधान विधि (दूसरा संशोधन) विधेयक 2016 को लोकसभा ने मंगलवार विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे के बीच बिना चर्चा के पारित कर दिया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कल सदन में पेश किए गए इस विधेयक को आज जब चर्चा के लिए प्रस्तुत किया तो विपक्ष ने इसका कड़ा विरोध किया।
विपक्षी दल संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने के पहले दिन से ही नोट बंदी के मुद्दे को लेकर सदन में भारी हंगामा कर रहे हैं जिसके कारण पिछले आठ दिन से कोई कामकाज नहीं हो पाया है। सदस्रूों का कहना कि सदन में पहले काम रोको प्रस्ताव के तहत या इस विधेयक के साथ ही नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा कराई जानी चाहिए। यह विधेयक कल भी हंगामें के दौरान चर्चा के लिए पेश किया गया था। विधेयक चर्चा के लिए पेश करते हुए जेटली ने कहा कि सरकार कालेधन को देश की राजनीति और अर्थव्यवस्था से पूरी तरह खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है इसके लिए मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही सघन अभियान शुरु कर दिया था।
सरकार की ओर से काले धन के खिलाफ की गई कार्रवाई से 70 हजार करोड़ रुपए का काला धन सामने आया था। जेटली ने कहा कि 8 नवंबर के बाद से देश में 500 और 1000 रुपए के नोट बंद होने के बाद से ऐसा देखने में आ रहा था कि लोग अपना कालाधन गैर कानूनी तरीके से बदल रहे हैं। यह विधेयक इसे रोकने के लिए ही लाया गया है।
अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने विपक्षी सदस्य से शांत होने और विधेयक पर चर्चा में भाग लेने का बार बार अनुरोध किया लेकिन वे आसन के समीप आकर हंगामा करते रहे। अध्यक्ष ने काम रोको प्रस्ताव के तहत नोटबंदी पर चर्चा कराने की उनकी मांग नहीं मानी और हंगामा जारी रहने पर विधेयक पारित कराने की प्रक्रिया शुरु कर दी।
बीजू जनता दल के भृतहरि मेहताब ने विधेयक में एक संशोधन पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से नामंजूर कर दिया। इसके बाद हंगामे के बीच ही सदन ने विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस विधेयक के तहत 500 और एक हजार रुपए के नोटों का प्रचलन बंद किए जाने के बाद आगामी 31 मार्च तक बैंकों में जमा की जाने वाली अघोषित आय पर 30 प्रतिशत कर, 10 फीसदी जुर्माना और कर पर 33 प्रतिशत’प्रधानमंत्री गरीब कल्याण उपकर’ लगाने का प्रावधान है। इस तरह कुल कर अघोषित आय की कुल राशि का करीब 50 प्रतिशत हो जाएगा। इसके साथ ही जमाकर्ता को घोषित की जाने वाली राशि का 25 फीसदी न्यनूतम चार वर्ष के लिए बगैर ब्याज के प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में जमा कराना होगा।
विधेयक में यह प्रावधान भी किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति खुद अघोषित आय जमा नहीं कराता है तो आयकर विभाग या किसी दूसरी एजेेंसी द्वारा पकड़ी जाने वाली राशि पर अधिकतम 85 फीसदी कर देना पड़ेगा। इसमें 75 प्रतिशत कर,10 प्रतिशत जुर्माना शामिल है और इसके साथ ही आयकर अधिकारियों को अतिरिक्त 10 फीसदी कर लगाने का अधिकार दिया गया है।
यह विधेयक धन विधेयक के रूप में लाया गया। विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मिलने वाली राशि का इस्तेमाल सिंचाई, आवास, शौचालय, बुनियादी ढांचा, प्राथमिक शिक्षा, प्राथमिक स्वास्थ्य जैसे कार्यों के लिए किया जाएगा। विधेयक पारित होने के पहले हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों की आलोचना करते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि विपक्ष इतने अहम विधेयक पर चर्चा नहीं करके और शोरशराबा कर सदन और देश दोनों का समय बर्बाद कर रहा है। विधेयक पारित होने के बाद महाजन ने सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी।