भारत समेत दुनिया के 50 देशों ने चीन सरकार के समर्थन से बन रहे एशिया इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट बैंक समझौते पर रजामंदी दे दी।
नई दिल्ली। भारत समेत
दुनिया के 50 देशों ने सोमवार को चीन सरकार के समर्थन से बन रहे 100 बिलियन डॉलर के
एशिया इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट बैंक समझौते पर रजामंदी दे दी। सभी देशों के बीच
यह सहमति 60 बिन्दुओं पर बनी है। इन बिन्दुओं में सभी देशों की हिस्सेदरी और बैंक
के कामकाज करने के नियमों का पूरा ब्यौरा है।
चीन सरकार की पहल पर एशिया
क्षेत्र में इंफ्रा प्रोजेक्ट्स की फं डिंग करने के लिए “एशिया बैंक” को बनाया जा
रहा है। इस समझौते के लिए सभी मेंबर देशों के सदस्य बीजिंग के द ग्रेट हॉल ऑफ द
पीपुल में एकत्र हुए थे। एशिया बैंक के 50 मेंबर देशों में ऑस्ट्रेलिया ने सबसे
पहले इस समझौते पर अपनी रजामंदी दी है और उम्मीद की जा रही है कि 7 अन्य देश इस साल
के अंत तक इस बैंक में शामिल हो सकते हैं। इस समझौते के मुताबिक के पास 100 बिलियन
डॉलर का फं ड मौजूद रहेगा। इस फं ड का लगभग 70 फीसदी हिस्सा एशियाई देशों से आएगा।
साथ ही एशियाई देशों को उनके आर्थिक आकार के आधार पर वोटिंग अधिकार मिलेंगे।
चीन, रूस और भारत सबसे बड़े हिस्सेदार
एशिया बैंक में चीन के साथ-साथ
रूस और भारत की बड़ी हिस्सेदारी है। करार के मुताबिक चीन के पास बैंक का 30.34
फीसदी शेयर रहेगा वहीं रूस और भारत के पास क्रमश: 8.52 और 6.66 फीसदी शेयर रहेंगे।
इस आधार पर इन तीनों देशों का बैंक के फैसलों में वोटिंग अधिकार क्रमश: 26.06
फीसदी, 7.5 फ ीसदी और 5.92 फीसदी है।
एशिया के विकास में होगा साझा
प्रयास
चीन के नेतृत्व में बन रहे इस एशिया बैंक का प्रमुख उद्देश्य एशिया
क्षेत्र में बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को फं ड करना है। 50 देशों के बीच
हुए समझौते के मुताबिक इस साल के अंत तक यह बैंक अपना कामकाज शुरू कर देगा। गौरतलब
है कि इस समझौते को अब सभी देश अपने-अपने देशों में कानूनी वैद्यता देते हुए लागू
कराएंगे।
अमेरिका और जापान कर रहे विरोध
अमेरिका और जापान ने चीन के
नेतृत्व में बन रहे इस बैंक का विरोध किया है। बीते दिनों अमेरिका ने ऑस्ट्रेलिया
समेत एशिया के कई देशों पर इस बैंक में शामिल न होने के लिए दबाव बनाया था। गौरतलब
है कि अमेरिका और कुछ समर्थित पश्चिमी देशों का मानना है कि चीन के समर्थन से बन
रहा “एशिया बैंक” और वल्र्ड बैंक जैसी संस्थाओं का प्रतिद्वंदी बन जाएगा। लिहाजा
अमेरिका और जापान ने इस बैंक में शामिल होने से मना कर दिया है।
गौरतलब है
कि विश्व बुनियादी ढांचे पर करीब 1,000 अरब डालर खर्च करता है लेकिन इसका बड़ा
हिस्सा विकसित देशों को जाता है। विश्व बैंक ने कहा कि उभरते बाजार और कम आय वाले
देशों के बुनियादी ढांचे पर खर्च में 1,000-1,500 अरब डालर का फ र्क है। प्रस्ताव
अक्टूबर 2013 में चीन के राष्ट्रप्ति शी जिनपिंग ने किया था। साल भर बाद चीन, भारत,
मलेशिया, पाकिस्तान और सिंगापुर समेत 21 एशियाई देशों ने इस बैंक की स्थापना के लिए
समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।