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भूमि समझौता: … अधूरी कहानी, पति भारत और पत्नी बांग्लादेश में

Published: Aug 01, 2015 12:09:00 pm

68 साल के बाद दोनों देशों के बीच सीमा समझौता हुआ है, इसके तहत 50 हजार से ज्यादा लोगों को पहली बार नागरिकता मिली 

india bangladesh land deal

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नई दिल्ली। भारत और बांग्लादेश के बीच 68 साल बाद आखिरकार भूमि अदलाबदली का समझौता शुक्रवार रात से लागू हो गया। लेकिन इसी बीच कुछ लोग ऎसे भी जिन्हें इस समझौते का कोई लाभ नहीं हुआ और अब उनका भविष्य अधर में लटक गया है। गौरतलब है कि 68 साल के बाद दोनों देशों के बीच सीमा समझौता हुआ है। इसके तहत 50 हजार से ज्यादा लोगों को पहली बार नागरिकता मिली है। जानिए ऎसी ही दो परिवारों की कहानी जो इस समझौते के चलते कहीं के नहीं रहे।



बांग्लादेश ने बताया देशद्रोही, भारत ने घुसपैठिया
एक अंग्रेजी अखबार के अनुसार 62 साल के अब्दुल हामिद और उनके 82 वर्षीय मामा शोभान अली शेख के परिवारों को भारत व बांग्लादेश दोनों ही नागरिकता देने को तैयार नहीं है। दोनों परिवार करीब 19 साल पहले बीएसएफ के 12 जवानों को बचाने के प्रयास में भारत की सीमा में आ गए थे। जब वे वापिस लौटे तो उनके घरों को जमीदोंज कर दिया गया और उन्हें देशद्रोही कहा जाने लगा वहीं भारत इन्हें घुसपैठिया मानता है। वे इस समय साहिबगंज इलाके में रहते हैं। हामिद कहते हैं कि उन्होंने दो भाइयों, तीन बहनों और मामा शोभान के साथ भारत में प्रवेश किया था। दोनों परिवारों में कुल 77 सदस्य हैं और बच्चे भी बड़े हो गए, उनकी शादियां भी हो चुकी हैं। हम चाहते हैं कि भारत हमें अपनी नागरिकता प्रदान करे।



पति भारत में और पत्नी बांग्लादेश में, अब बच्चे कहां जाएं
वहीं डासिआरछारा में रहने वाले सरवार आलम और मरीना बेगम की चार साल पुरानी शादी इस समझौते के कारण टूट गई। इस दंपत्ती के दो बच्चे भी हैं। इस समझौते के बाद सरवार आलम भारत में रहना चाहते थे वहीं मरीना बांग्लादेश में रहना चाहती थी। समझौते के बाद डासिआरछारा बांग्लादेश का हिस्सा बन गया है। सरवार और मरीना दोनों 20 साल के हैं और पहले दोनों ने सहमति से भारत में जाने का फैसला लिया। अंतिम समय में मरीना ने अपना विचार बदल दिया। भारत और बांग्लादेशी एनक्लेव में रहने वाले लोगों की अदलाबदली से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के कई मामले हैं जहां परिवार के सदस्यों के बीच अलग-अलग राय है।

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