केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में आतंकी हमलों-गोलीबारी में मारे गए लोगों के परिवार को मिलने वाले मुआवजे की राशि बढ़ी, पीओके के लोगों को भी मुआवजा देने का फैसला
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को एक और झटका दिया है। मोदी ने सीमा पर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के आतंक पीडि़त लोगों को भी मुआवजा देने की घोषणा की है। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में आतंकी हमलों और गोलीबारी में मारे गए लोगों के परिवार को मिलने वाले मुआवजे की राशि बढ़ा दी है। साथ ही पीओके के लोगों को भी मुआवजा देने का फैसला किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया। इसके साथ ही नक्सली हिंसा और सांप्रदायिक हिंसा में मारे जाने वालों के परिवार को मिलने वाले मुआवजे में भी भारी बढ़ोतरी की गई है। कैबिनेट की बैठक में भारतीय सीमा के भीतर आतंकवादी हमले, सांप्रदायिक हिंसा, वाम चरमपंथ, सीमापार गोलीबारी और बारूदी सुरंग और आईईडी विस्फोटों के पीडि़तों की सहायता के लिए केंद्रीय योजना के तहत मुआवजे को तीन लाख रुपए से बढ़ाकर पांच लाख रुपए किए जाने की मंजूरी दी गई है।
पीएमओ में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह मुआवजा पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए भी है, लेकिन मौजूदा हालात में उन्हें यह नहीं दिया जा सकता है। पाकिस्तान की ओर से होने वाली गोलीबारी में हुई मौतों के लिए मुआवजे की मांग काफी लंबे समय से हो रही थी। 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कश्मीर में दीवाली मनाने गए थे, तो उन्हें इसके लिए कई प्रतिवेदन सौंपे गए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की ओर से यह ऐतिहासिक फैसला किया गया है। यह उनको संदेश देता है कि केंद्र सरकार उनका खयाल करती है।
उन्होंने कहा कि गोलीबारी में पचास फीसदी अपंग होने पर भी मुआवजा दिया जाएगा। इसके साथ ही सीमा के नजदीक गांवों में सरकार विशेष बंकर बना रही है, ताकि गोलीबारी के दौरान स्थानीय लोग यहां पनाह ले सकें। उन्होंने कहा कि अरनिया सेक्टर में कई गावों में ये बंकर बनकर तैयार हो गए हैं। इनके बनने से स्थानीय ग्रामीण को दूसरी जगहों पर भागने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
पाकिस्तान के साथ लगी करीब 770 किलोमीटर की नियंत्रण रेखा और करीब 220 किलोमीटर की अंतरराष्ट्रीय सीमा 1990 से लगातार संघर्षविराम के उल्लंघन और आतंकवादियों की घुसपैठ का साक्षी बनती आ रही है। जम्मू.कश्मीर में भारत-पाक सीमा पर होने वाली सीमापार गोलीबारी में हर साल 50 से अधिक लोग मारे जाते हैं। पिछले साल तक सीमापार गोलीबारी में 13,921 नागरिक अपनी जान गवां चुके थे। माओवाद प्रभावित राज्यों में पिछले साल नक्सली हिंसा में 168 नागरिक मारे गए।