नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि उनकी सरकार ने देश में जटिल कानूनी प्रक्रिया के सरलीकरण, अप्रासांगिक कानूनों को समाप्त करने और मध्यस्थता कानून को सदृढ़ बनाने की ठोस पहल की है और अब भारत को मध्यस्थता कानून के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने की आवश्यकता है। मोदी ने ‘मध्यस्थता तथा व्यवहार पंचाट को सुदृढ़ बनाने के लिए राष्ट्रीय पहलà विषय पर देश में मध्यस्थता तथा व्यवहार कानून को मजबूत बनाने के लिए पहले वैश्विक सम्मेलन को संबोधित करते हुए विशेषज्ञों से अनुरोध किया कि मध्यस्थता कानून को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुदृढ़ किया जाना चाहिए ताकि भारत को मध्यस्थता के वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित किया जा सके।
उन्होंने कहा कि देश की आर्थिक प्रगति के लिए इस कानून का अंतरराष्ट्रीय स्तर का होना आवश्यक है। कानूनी जटिलता को दूर करके समस्याओं के समाधान के लिए मध्यस्थता और सुलह के साथ ही अन्य वैकल्पिक समाधान पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि निवेशकों और व्यावसायियों को अतिरिक्त सुविधा दी जा सके जिससे देश की अदालतों पर लगातार बढ़ रहे बोझ को कम किया जा सकेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने हाल में अनुपयोगी बन चुके एक हजार से अधिक निष्प्रभावी कानूनों को समाप्त किया है। इसका मकसद देश में कारोबार को आसान बनाना तथा वैश्विक निवेश को आकर्षित करना था। उन्होंने उम्मीद जताई कि आज संपन्न इस सम्मेलन से मध्यस्थता पंचाट को मजबूत बनाने तथा भारत को वैश्विक स्तर पर मध्यस्थता का केंद्र बनाने में मदद मिलेगी।
मोदी ने उम्मीद जताई है कि देा दिन तक चला यह सम्मेलन मध्यस्थता कानून को भारत में प्रभावी बनाने की राह में मील का पत्थर साबित होगा। इस सम्मेलन के जो निष्कर्ष निकलेंगे उम्मीद है कि उससे वैश्विक स्तर पर इस क्षेत्र में काम करने वाले कानूनी विशेषज्ञों और कॉरपोरेट घरानों का ध्यान भारत की तरफ आकर्षित किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि भारत का कानून अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानून पर संयुक्त राष्ट्र के आयुक्त द्वारा अनुमोदित कानून के आधार पर है। हाल के दिनों में उनकी सरकार ने इस दिशा में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। सरकार की प्राथमिकता मध्यस्थता तथा सुलह जैसे कानूनों के जरिए सभी तरह के कारोबारी विवादों का समाधान निकालना है। मध्यस्थता के जरिए विवादों का समाधान बहुत आसानी से हो सकता है और इसमें संभावनाएं भी व्यापक है, लेकिन इसे ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए अब ठोस प्रयास नहीं हुए हैं।
उन्होंने कहा कि कारोबारी किसी भी तरह के व्यवधानों का समाधान शीघ्र चाहता है और भारतीय बाजार में आने वाले अंतरराष्ट्रीय कारोबारियों को भी इसी तरह की उम्मीद है। इस स्थिति में उन्हें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि उनके विवादों का समाधान एक निश्चित अवधि में किया जा सके।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार देश में कानूनी प्रक्रिया की वजह से राष्ट्र के कारोबारी हितों को प्रभावित नहीं होने देना चाहती है इसलिए उनकी सरकार ने कई कानूनों में सुधार किया है। इसके लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण को क्रियान्वित किया गया और मौद्रिक नीति समिति के गठन के साथ ही एक हजार से अधिक पुराने कानूनों का खत्म किया गया है।
उन्होंने कहा कि भारत में मध्यस्थता के जरिए विवादों के समाधान का मामला नया नहीं है। प्राचीन भारत में परस्पर विवादों के समाधान के कई तरीके अपनाए जाते रहे हैं। इनमें कुलनी या ग्राम परिषद जैसी कई व्यवस्थाएं अपनाई जाती थीं। इसी तरह से वाणिज्यिक मामलों का समाधान महाजन तथा चैंबर्स के स्तर पर किया जाता था। मोदी ने कहा कि देश में डिजिटल क्रांति का दौर चल रहा है। इससे डिजिटल तथा आर्थिक आधार पर बडा गठजोड़ बन रहा है और ग्रामीण आबादी में इसके माध्यम से बडा बदलाव आ रहा है। उन्होंने कहा इस क्रांति से ग्रामीण भारत की आर्थिक स्थिति में बडा सुधार आएगा।
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