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कंधार कांड: आतंकियों को छोड़ने के खिलाफ थे फारूक अब्दुल्ला

Published: Jul 03, 2015 08:06:00 am

भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ(RA&W) के पूर्व प्रमुख एएस दुलत ने अपनी किताब कश्मीर-द वाजपेयी ईयर्स में यह खुलासा किया है

plane hijack

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नई दिल्ली। भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ(RA&W) के पूर्व प्रमुख एएस दुलत का कहना है कि 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी-814 को अगवा करने के मामले में जम्मू कश्मीर के तत्कालीन सीएम फारूक अब्दुल्ला आतंकियों को रिहा करने पर नाराज हो गए थे। वे आतंकियों की रिहाई नहीं चाहते थे और अपने पद से इस्तीफा देने को भी तैयार हो गए थे। दुलत ने अपनी किताब कश्मीर-द वाजपेयी ईयर्स में यह खुलासा किया है।

इसमें उन्होंने लिखा कि, आतंकियों को रिहा करने के फैसले पर अब्दुल्ला भड़क उठे। वे शांत होते और फिर तमतमा उठते, ऎसा कई बार हुआ। उन्होंने कहाकि दिल्ली(केन्द्र सरका) कि तनी कमजोर है, यह कितनी बड़ी गलती है, कैसे मूर्ख और मसखरे लोगों की मंडली हैं? इसके बाद उन्होंने जसवंत सिंह को फोन किया और कहाकि आप जो भी कर रहे हैं, गलत कर रहे हैं। उन्होंने कई और लोगों को भी दिल्ली में फोन किया। वे बार-बार फोन पर कह रहे थे कि मैं इस कश्मीरी साथी को जाने नहीं दूंगा, वह हत्यारा है। वह आजाद नहीं होगा। वे तीन घंटे तक फोन पर चिल्लाते रहे।

राज्यपाल ने अब्दुल्ला को मनाया
उन्होंने आगे बताया कि, इसके बाद अब्दुल्ला ने कहाकि वे अपना इस्तीफा सौंपने राज्यपाल के पास जा रहे हैं। उन्होंने राज्यपाल से कहाकि ये लोग आतंकियों को छोड़ना चाहते हैं और मैंने रॉ प्रमुख से कह दिया है कि मैं इसमें पार्टी नहीं बनूंगा। इसलिए मैं इस्तीफा देनर चाहूंगा और इसलिए आपके पास आया हूं। तब गवर्नर गैरी सक्सेना ने बात को चतुराई से संभाला और क हाकि आप इससे पल्ला नहीं झाड़ सकते। इस पर दिल्ली में भी चर्चा हुई होगी। अब यही चारा है। इस पर फारूक अब्दुल्ला माने।

सीएमजी की बैठक में हुई गड़बडियां
दुलत ने लिखा कि उन्हें दो बार फारूख अब्दुल्ला का गुस्सा झेलना पड़ा। इससे पहले 1989 में मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबैया की रिहाई के लिए पांच आतंकियों को छोड़ने के दौरान मैं श्रीनगर में रॉ का हैड था। इसके बाद कंधार मामले मे रॉ का प्रमुख था। दुलत ने माना कि विमान अपहरण मामले में क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप ने आंतकियों से निपटने में गड़बडियां की। जब जहाज अमृतसर में उतरा तो न केन्द्र सरकार और न पंजाब सरकार ने कुछ किया और जहाज उड़ गया।

अमरीका ने नहीं दिया भारत का साथ
दुलत इस मामले में एक और खुलासा करते हुए बताते हैं कि, जब विमान दुबई में था तब भारत ने रेड मारने का विचार बनाया लेकिन स्थानीय अधिकारियों ने सहयोग देने से मना कर दिया। इसके बाद अमरीका से बात की गई और कहा गया कि वह यूएई पर दबाव डाले लेकिन अमरीका ने इनकार कर दिया। इसके चलते भारत इस मुद्दे पर अकेला पड़ गया। गौरतलब है कि आतंकियों ने 24 दिसंबर 1999 को काठमांडू से दिल्ली आ रहे प्लेन को हाईजैक कर लिया था। इस जहाज में 176 यात्री सवार थे जिनमें से 27 को दुबई छोड़ दिया गया जबकि एक की चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी गई थी। यात्रियों की रिहाई के बदले तीन आतंकियों मसूद अजहर , मुस्ताक अहमद जर्गर और अहमद उमर सईद शेख को छोड़ना पड़ा था।

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