scriptअंतरिक्ष उड़ानों के लिए जल्द होगा अपना स्पेस शटल | India will soon have its own Space shuttle | Patrika News
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अंतरिक्ष उड़ानों के लिए जल्द होगा अपना स्पेस शटल

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भविष्य के अंतरिक्ष उड़ानों के लिए जल्दी ही
अपना स्पेस शटल तैयार कर लेगा

May 23, 2015 / 12:11 am

सुभेश शर्मा

indian space shuttle

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बेंगलूरू। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भविष्य के अंतरिक्ष उड़ानों के लिए जल्दी ही अपना स्पेस शटल तैयार कर लेगा। पहला परीक्षण जुलाई या अगस्त में करने की तैयारी है। इसके लिए तिरूवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में तैयारी चल रही है। करीब 1.5 टन वजनी यान विमान की तरह फिर से इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसरो ने आधिकारिक तौर पर इसे पुन: प्रयोगी प्रक्षेपण यान (री-यूजेबल लांच व्हीकल, आरएलवी-टीडी) नाम दिया है।

दस फीसद रह जाएगा खर्च
इसरो के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार एक किलोग्राम वजनी वस्तु को अंतरिक्ष में स्थापित करने का खर्च 5 हजार डॉलर है। यान के निर्माण के बाद यह घटकर 500 डॉलर रह जाएगा। अभी इसका उपयोग मानव युक्त अभियानों में करने की योजना नहीं है।

900 सेकंड की योजना

परीक्षण के दौरान प्रक्षेपण ठोस चरण वाले एकल रॉकेट बूस्टर से किया जाएगा और 70 किलोमीटर की ऊंचाई पर यान को भेजकर उसका बंगाल की खाड़ी में सॉफ्ट लैडिंग कराया जाएगा। इस उप-कक्षीय अभियान को 900 सेकेंड में अंजाम देने की योजना है।

तीसरा देश होगा भारत

अभी तक अमरीका और रूस ने ही स्पेस शटल बनाया है। अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने स्पेस शटल के 135 अभियानों को अंजाम दिया है। अगर इसरो इसमें कामयाब रहता है ऎसा करने वाला भारत दुनिया का तीसरा देश होगा।

हर चुनौती को तैयार
इसरो वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्हें उस पल का इंतजार है जब स्पेस शटल बंगाल की खाड़ी में उतरने के लिए पुन: धरती के वातावरण में प्रवेश करेगा। तब यान की गति ध्वनि से पांच गुणा होगी। धरती के वातावरण में प्रवेश करते वक्त घर्षण के कारण उसका तापमान काफी बढ़ेगा। इससे शटल को बचाने के लिए उस पर लगभग 600 उष्मारोधी टाइल्स कवच के रूप में लगाए हैं। ये टाइल्स 1200 डिग्री सेल्सियस तक तापमान से शटल को सुरक्षा देंगे।

श्रीहरिकोटा से भरेगा उड़ान

इसरो अध्यक्ष ए एस किरण कुमार के अनुसार यह अंतरिक्षीय वायुयान होगा जो श्रीहरिकोटा के सतीश धवन केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से उड़ान भरेगा। पूर्ण विकसित होने के बाद यह सामान्य रॉकेटों की तरह उध्र्वाधर उड़ान भरेगा और विमानों की तरह क्षैतिज रूप से धरती पर लौटेगा। अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद पुन: वापसी को यान के डैने को नियंत्रित करने वाली प्रणाली सक्रिय की जाएगी। जिससे यान पुन: धरती का रूख करेगा और बंगाल की खाड़ी में उतर जाएगा।

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