scriptअमरीकी स्कूलों ने भारतवंशी किशोरी की प्रतिभा स्वीकारी | Indian-American Teen Gets Accepted by All 8 Ivy League Schools | Patrika News

अमरीकी स्कूलों ने भारतवंशी किशोरी की प्रतिभा स्वीकारी

Published: Apr 17, 2015 06:54:00 pm

अमरीका में भारतीय मूल की अमरीकी किशोरी की प्रतिभा को आठ आईवी लीग स्कूलों ने स्वीकार कर लिया है

कोलकाता। अमरीका में भारतीय मूल की अमरीकी किशोरी की प्रतिभा को आठ आईवी लीग स्कूलों ने स्वीकार कर लिया है। विशेषज्ञों ने गुरूवार को कोलकाता में कहा कि इससे समेकित विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीई एम) विषयों में भारत की शिक्षा पद्धति से जुड़ी भ्रांतियां दूर होने में मदद मिलेगी। अमरीका के वर्जीनिया में पैदा हुई भारतीय मूल की छात्रा पूजा चंद्रशेखर (17) की दाखिलाअर्जी को हाल ही में अमरीका के शीर्ष 14 विश्वविद्यालयों ने स्वीकार कर लिया था, जिनमें से आठ आईवी लीग स्कूल थे। पूजा एसटीईएम विषयों में अमरीकी किशोरियों की हिस्सेदारी को प्रोत्साहित करने के लिए लोकप्रिय है।

पूजा का इन स्कूलों में प्रवेश भारत के लिए एक सकारात्मक संदेश
रायन कॉक्स ने आईएएनएस को बताया, “यह भ्रांति है कि एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) पेचीदा विषय हैं। इस भ्रांति को बदलने की दिशा में पूजा का इन स्कूलों में प्रवेश भारत के लिए एक सकारात्मक संदेश है।” कॉक्स ने कोलकाता में बरकपोर के नजदीक एसटीईएम वल्र्ड स्कूल की एसटीईएम आधारित प्रयोगशाला में यह बात कही। उन्होंने कहा कि हालांकि भारतीय छात्र समस्याओं का समाधान करने में दक्ष होते हैं। इसलिए एसटीईएम जैसे विषय उनके करियर को बेहतर तरीके से गति दे सकते हैं।

उन्होंने कहा, “हमारे पास यहां बहुत प्रतिभाशाली छात्र हैं। इनके पास समस्याओं का समाधान करने की क्षमता और इसे लागू करने की क्षमता है। इस तरह से कार्यप्रणाली को बदलकर और अपने समकक्षों के साथ मिलकर काम करने का अवसर देकर, हम न सिर्फ बेहतर छात्रों का विकास कर सकते हैं, बल्कि उनके लिए बेहतर भविष्य का भी निर्माण कर सकते हैं।” अमेरिका में 2010 से 2020 के दौरान एसटीईएम संबंधित क्षेत्रों में लगभग 20 प्रतिशत से 62 प्रतिशत तक रोजगार बढ़ने का अनुमान लगाया गया है, जबकि तुर्की, कतर और ब्रिटेन जैसे देश एसटीईएम शिक्षा में गंभीर रूचि लेते हैं।

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