भारतीय सेना के जवान अब एडवांस्ड बुलेटप्रूफ हैलमेट पहनकर देश की रक्षा करेंगे। सेना के लिए कानपुर की एमकेयू इंडस्ट्रीज में बैलिस्टिक लैब टेस्ट वाले हेलमेट बनाए जा रहे हैं। इसकी पहली खेप आयुध डिपो पहुंच भी चुकी है।
नई दिल्ली। 25 वर्षों के बाद भारतीय सेना के जवान अब एडवांस्ड बुलेटप्रूफ हैलमेट पहनेंगे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 7,500 बुलेटप्रूफ हेलमेट की पहली खेप आयुध डिपो पहुंच चुकी है। इस साल के अंत कर 30 हजार बुलेटप्रूफ हेलमेट की दूसरी खेप भी पहुंचने की उम्मीद है। जबकि 2019 तक सेना के एक लाख से ज्यादा जवानों को नये एडवांस्ड बुलेटप्रूफ हेलमेट दे दिए जाएंगे। भारतीय सेना के लिए यह हेलमेट कानपुर स्थित एमकेयू इंडस्ट्रीज तैयार कर रहा है। मेड इन इंडिया के तर्ज पर सेना ने 1.58 लाख हेलमेट के लिए एमकेयू से 170 करोड़ रुपए का करार किया है। सेना के पैदल दस्ते के जवान अबतक 1974 में डिजाइन किया गया हेलमेट पहनते हैं।
कम्युनिकेशन सेटअप इनबिल्ट होंगे हेलमेट
सेना के सूत्रों के मुताबिक 1.58 लाख हेलमेट में 50 हजार से अधिक कमांडर स्तर के अधिकारियों के लिए तैयार किया जा रहा है। इसमें कम्युनिकेशन के लिए ऐसे सेटअप इनबिल्ट होगें जो तीन रेडियो सेट से संपर्क कर सकेंगे। बताया जा रहा है कि आगामी कुछ हफ्तों में करीब 25,00 हेलमेट उन जवानों को सौंपा जाएगा, जो संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन पर काम कर रहे हैं।
बैलिस्टिक लैब में हो रहा है परीक्षण
भारतीय सेना को मिलने वाला ये एडवांस्ड बुलेटप्रूफ हैलमेट बेहद खास तकनीक से तैयार किए गए हैं। एमकेयू का दावा है कि इन हेल्मेट्स को भारत और जर्मनी ने कंपनियों द्वारा कठोर गुणवत्ता परीक्षण और बैलिस्टिक लैब में टेस्ट करने के बाद सौंपा जा रहा है।
9 मिमि की गोली झेल सकता है
इस हेलमेट को इस तरह से डिजाइन किया गया है, ताकि यह 9 मिमि की गोली को बड़े आसानी से सहन कर सके। इसके ट्रायल के लिए 6 हजार हेलमेट को बेतरतीब ढंग से चुना जाता है और उसके बाद उनपर बैलिस्टिक अनुसंधान प्रयोगशाला में भेजा जाता है। इसमें मेमोरी फोम पैडिंग लगाए गए हैं, जिससे युद्द के दौरान जवानों को किसी तरह की परेशानी न हो।
11वीं पंचवर्षीय योजना में शुरु हुई कवायद
बता दें कि 11वीं पंचवर्षीय योजना में ही सरकार ने सेना के जवानों के लिए 3,28,214 बैलिस्टिक हेलमेट की खरीद को मंजूरी दिया गया था। इसमें नौसेना के लिए 19,981 हेलमेट शामिल है, हालांकि, वर्तमान में लगभग 1.58 लाख हेलमेट को मंजूरी मिल चुकी है।
28 फीसदी सैनिक हेलमेट की वजह से होते हैं शहीद
गौरतलब है कि देश में कई बार आतंकी हमले में हेलमेट की वजह से भी जवानों को अपनी शहादत देनी पड़ती है। जिसे लेकर सड़क से संसद तक सरकार की आलोचना होती रही है। सेना के एक अधिकारी के मुताबित सिर पर चोट की वजह से ही 26 से 28 फीसदी सैनिकों की मौत होती है।