रेलवे कर्मचारी ने दिखाई ईमानदारी, लौटाया लैपटॉप, कीमती सामान
मुंबई के वड़ाला रेलवे स्टेशन पर हाइसकीपिंग का काम करने वाले वीरेश ने एक यात्री का महंगा लैपटॉप तथा अन्य जरूरी सामान वापस लौटा दिया
अगर किसी को ‘नेकी कर दरिया में डाल’ का वास्तविक अर्थ समझना हो तो इसके लिए उसे भारतीय रेलवे में काम करने वाले वीरेश से मिलना चाहिए। मुंबई के वड़ाला रेलवे स्टेशन पर हाइसकीपिंग का काम करने वाले वीरेश ने न केवल एक यात्री का महंगा लैपटॉप तथा अन्य जरूरी सामान वापस लौटा दिया वरन उसकी एवज में पुरस्कार लेने से भी मना कर दिया।
दरअसल फिल्म लेखक अंबोरिश रायचौधरी मुंबई के वड़ाला रेल्वे स्टेशन पर अपना कैरीबैग साथ ले जाना भूल गए। कैरीबैग में एप्पल की मैकबुक, एक ई-बुक रीडर तथा एक किताब थी। बाद में कुछ दूर जाने पर उन्हें अपने बैग की याद आई और वो वापस स्टेशन की ओर भागे। परन्तु तब तक उनका बैग वहां से कहीं गुम हो चुका था। अंबोरिश ने तुरंत ही रेल्वे पुलिस को एफआईआर लिखवाई तथा सोशल मीडिया पर ट्वीट करते हुए लोगों से मदद की अपील की।
पुलिस ने भी कुछ देर तलाशी के बाद उन्हें सामान के नहीं मिलने की सूचना दी। जब अंबोरिश सब तरफ से हार गए तब उनके पास एक युवक आया और उन्हें उनकी खोई हुई चीजें वापस कर दीं।
बाद में पता चला कि सामान लाने वाले युवक का नाम वीरेश नरसिंह केले था और वो स्पेशल ट्रेनों में खाना परोसने वाली कंपनी का कर्मचारी है। अंबोरिश ने वीरेश को उसकी ईमानदारी के लिए पुरस्कार देना चाहा परन्तु उसकी बड़ी ही सहजता से इसे अस्वीकार कर दिया।
अंबोरिस ने पूरी कहानी सुनाते हुए बताया कि जब वह उस ट्रेन से उतर गया था तब वीरेश उसी ट्रेन में जा रहा था। सफर समाप्त होने पर उसे ट्रेन में बैग मिला। वीरेश ने पहले तो बैग के मालिक को तलाशा, बाद में नहीं मिलने पर उसने बैग के अंदर देखा, वहां से अंबोरिश की डिटेल्स लेकर वीरेश ने उससे संपर्क किया और उसे बैग सही-सलामत लौटा दिया।
वीरेश की इस ईमानदारी से अभिभूत हुए अंबोरिश ने रेलमंत्री सुरेश प्रभु को एक ओपन लैटर लिखते हुए उसे पुरस्कृत करने की मांग की है ताकि अन्य लोग भी इससे सबक ले सकें।
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