भारतवंशी वैज्ञानिक ने कैंसर जीवविज्ञान सिद्धांत को चुनौती दी
Published: Apr 28, 2015 07:08:00 pm
अमेरिका में एक भारतीय वैज्ञानिक ने कैंसर जीवविज्ञान के लगभग एक दशक पुराने सिद्धांत को चुनौती दी है
भुवनेश्वर। अमेरिका की कोलंबिया युनिवर्सिटी में एक भारतीय वैज्ञानिक ने कैंसर जीवविज्ञान के लगभग एक दशक पुराने सिद्धांत को चुनौती दी है। वैज्ञानिक ने अपने अध्ययन में दर्शाया है कि कैंसर के बचाव में महत्वपूर्ण जीन उस तरह से काम नहीं करता, जैसा पूर्व में सोचा गया था। स्वस्थ व्यक्तियों में इस जीन की सामान्य किस्म पाई जाती है, जो कि सामान्य तौर पर ए20 नाम से जाना जाता है। जब यह जीन सही ढंग से काम नहीं करता तब लोगों में कैंसर पनपता है। इसलिए अधिकतर कैंसर रोगियों में इस जीन की बेकार किस्म होती है।
वैज्ञानिकों नें यह जानने के लिए ए20 का पहला पशु मॉडल बनाया कि यह जीन शरीर में कैसे काम करता है। पिछले एक दशक के परिणामों के आधार पर उन्होंने अनुमान लगाया कि इन मॉडल जानवरों में कैंसर होगा। लेकिन इसके परिणाम चौंकाने वाले थे। उन्होंने पाया कि ये जानवर अपने जीवन काल में काफी हद तक स्वस्थ रहे। भारतीय वैज्ञानिक अर्नव डे ने कोलंबिया युनिवर्सिटी में डॉक्टरेट के अध्ययन के दौरान जानेमाने भारतवंशी अमेरिकी वैज्ञानिक शंकर घोष के साथ इस विषय पर काम किया। यह अध्ययन हाल ही में यूरोपियन बॉयलॉजी ऑर्गनाइजेशन (ईएमबीओ) की रपट में एक प्रमुख लेख के तौर पर प्रकाशित हुआ है। इस वैज्ञानिक पत्रिका में जीवविज्ञान संबंधी शोध प्रकाशित होते हैं।
ईएमबीओ ने इस लेख को आम पाठकों के लिए मौलिक रूप से प्रांसगिक मानते हुए इसे विशेष रूप में पेश किया। एबवी बायोरिसर्च सेंटर (एबॉट लैबोरेटरीज) में वरिष्ठ वैज्ञानिक डे ने बताया, “मुझे उम्मीद है कि मेरा काम, जानवरों में कैंसर की दवाओं के परीक्षण में सार्थक योगदान देगा।”
ब्रिटेन में कैंसर शोध निदेशक तथा लंदन में युनिवर्सिटी कॉलेज में कैंसर जीवविज्ञान के अध्यक्ष हेनिंग वाल्कजेक ने इस प्रकाशन पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ” ए20 जिसे टीएनएफएआईपी3 के नाम से जाना जाता है, स्वस्थ लोगों में हमलावर रोगाणुओं का सफाया करने का लाभकारी काम करता है। हालांकि, अगर वंशानुगत उत्परिवर्तन या संक्रमण के कारण ए20 काम नहीं करता है तो कैंसर सहित गंभीर विकृतियां हो जाती हैं।” उन्होंने बताया, “अब जानवर मॉडल के जरिए हम ए20 के काम करने के तरीके की जांच कर सकेंगे।”
कैंसर दुनिया में रोग और मृत्यु दर के शीर्ष कारणों में शामिल हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, 2012 में कैंसर के 1.4 करोड़ नए मामले सामने आए थे, और 82 लाख मौतें हुई थीं। अगले दो दशकों में कैंसर के मामलों की संख्या में 70 फीसदी वृद्धि होने का अनुमान है।