सुप्रीम कोर्ट ने बॉलीवुड फिल्म ‘इंदु सरकार’ के प्रदर्शन के आड़े आने वाले अवरोधकों को हटाकर शुक्रवार को इसकी रिलीज का रास्ता साफ कर दिया। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने कहा कि यह फिल्म कानून के दायरे में एक ‘कलात्मक अभिव्यक्ति’ है और इसकी शुक्रवार की रिलीज को रोकने का कोई औचित्य नहीं है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बॉलीवुड फिल्म ‘इंदु सरकार’ के प्रदर्शन के आड़े आने वाले अवरोधकों को हटाकर शुक्रवार को इसकी रिलीज का रास्ता साफ कर दिया। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने कहा कि
मधुर भंडारकर के निर्देशन में बनी फिल्म 1975-77 के आपातकाल के दौर पर आधारित है। यह फिल्म कानून के दायरे में एक ‘कलात्मक अभिव्यक्ति’ है और इसकी शुक्रवार की रिलीज को रोकने का कोई औचित्य नहीं है। न्यायालय ने फिल्म की रिलीज को मंजूरी देने से पहले उस महिला की याचिका को खारिज कर दिया, जो खुद को दिवंगत संजय गांधी की जैविक बेटी बताती है। महिला ने इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग की थी।
महिला की याचिका में दम नहीं है
भंडारकर के वकील ने पीठ को बताया कि उन्होंने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की ओर से बताए गए अंशों को पहले ही काट दिया है और हमारा दावा है कि फिल्म पूरी तरह साफ है। इसकी किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति के साथ कोई समानता नहीं है। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि बंबई हाईकोर्ट के 24 जुलाई के फैसले को चुनौती देने वाली महिला की याचिका में दम नहीं है।
सीबीएफसी प्रमाणपत्र निरस्त करने की मांग खारिज
खुद को दिवंगत संजय गांधी की जैविक पुत्री बताने वाली प्रिया सिंह पॉल ने बंबई हाईकोर्ट में अपनी याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था। हाईकोर्ट में उन्होंने मांग की थी कि फिल्म को सीबीएफसी की ओर से दिया गया प्रमाणपत्र निरस्त कर दिया जाए। सुनवाई के दौरान प्रिया के वकील ने आरोप लगाया कि फिल्म में मनगढंत तथ्य हैं और इसमें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय की छवि को धूमिल किया गया है।