29 सैटलाइट्स की लॉन्चिंग से इसरो की कमर्शियल यूनिट ऐंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लि. को 45 करोड़ रुपये की कमाई हुई है।
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का रॉकस्टार पोलर सैटलाइट लॉन्च वीइकल (पीएसएलवी) पिछले कुछ दिनों में मोटे मुनाफे का सौदा साबित हुआ है। पीएसएलएवी ने जहां 28 देशों के 209 सैटलाइट्स को एकसाथ अंतरिक्ष में पहुंचा कर शानदार ट्रैक रिकॉर्ड है, वहीं 29 सैटलाइट्स की लॉन्चिंग से इसरो की कमर्शियल यूनिट ऐंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लि. को 45 करोड़ रुपये की कमाई हुई है।
14 देशों के 29 सैटलाइट पहुंचाए
दरअसल, 23 जून को पीएसएलवी सी38 712 किग्रा का काटोर्सेट-2 सैटलाइट के साथ-साथ 30 अन्य सैटलाइट्स को अंतरिक्ष ले गया। इनमें 29 सैटलाइट्स 14 दूसरे देशों के थे। इससे पहले इसरो ने 15 फरवरी को अपने पीएसएलवी सी37 से एकसाथ 104 सैटलाइट्स अंतरिक्ष में भेजकर वर्ल्ड रिकॉर्ड रेकॉड बना दिया था।
2013-15 में कमाए 600 करोड़
लोकसभा में केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने बताया कि 2015-16 में एंट्रिक्स ने विदेशी सैटलाइट्स की लॉन्चिंग से 230 करोड़ रुपये कमाए थे, जो ग्लोबल लॉन्च सर्विस माकेर्ट की कुल आमदनी का 0.6 प्रतिशत हिस्सा है। वहीं 2013 से 2015 तक इसरो ने 28 विदेशी उपग्रह अंतरिक्ष में पहुंचा चुका है, जिससे ऐंट्रिक्स को लगभग 600 करोड़ रुपये की मोटी कमाई हुई थी।
स्पेस टेक्नोलॉजी का गोल्डन इरा
मौजूदा समय में स्पेसएक्स की फाल्कन 9, रूस की प्रोटॉन यूएलए और एरियनस्पेस जैसी कंपनियों के विपरीत एंट्रिक्स की किफायती दरों और छोटे उपग्रहों को अंतिरक्ष में भेजने में इसरो की महारत के कारण विदेशी ग्राहकों के बीच आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। जानकारी के मुताबिक वैश्विक स्तर पर स्पेस इंडस्ट्री अभी 200 अरब डॉलर (करीब 12,871 अरब रुपये) की आंकी जा रही है। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि निकट भविष्य में देश की यह स्पेस एजेंसी मोटा मुनाफा कमाएगी।