टाइटलर ने कहा कि वह अकाल तख्त साहिब पर पेश होकर लिखित रूप में माफी
मांगने को तैयार हैं, हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि उनका 1984 में हुए
सिख दंगों से कोई भी ताल्लुक नहीं है
नई दिल्ली। तत्कालिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मौत के बाद देशभर में सिखों के खिलाफ भड़के दंगों में हजारों निर्दोष सिखों की जान गई थी। वहीं सबसे ज्यादा सिखों का कत्लेआम दिल्ली में हुआ था। इस घटना के 32 साल बाद मामले के मुख्य आरोपी रहे जगदीश टाइटलर सिखों से मांफी मांगने चाहते हैं।
1984 सिख दंगों से नहीं कोई ताल्लुक-टाइटलर
अपने पंजाब यात्रा के दौरान गुरुवार को टाइटलर ने कहा कि वह अकाल तख्त साहिब पर पेश होकर लिखित रूप में माफी मांगने को तैयार हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि उनका 1984 में हुए सिख दंगों से कोई भी ताल्लुक नहीं है और ना ही वह किसी भी रूप में इसमें शामिल थे।
राजनीतिक वजहों से फंसाया जाता है मुझेः टाइटलर
अपना बचाव करते हुए टाइटलर ने कहा कि जब इंदिरा गांधी की हत्या हुई तब वह अमेठी में थे। उनके दाह संस्कार के दिन भी वहां मौजूद थे। उन्होंने कहा कि दूरदर्शन से इसकी फूटेज लेकर देखी जा सकती है। टाइटलर ने बताया कि उन्हें दंगों की कई जांचे हो चुकी है। सीबीआई ने भी उन्हे क्लीन चीट दे दिया है। मुझे तो राजनीतिक वजहों से समय-समय पर इस मामले में फंसाया जाता रहा है।
टाइटलर ने दावा किया कि उन्होंने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह से मिलने के लिए समय मांगा है ताकि वे श्री अकाल तखत साहिब के सामने पेश हो सकें। फिलहाल, कड़कड़डूमा कोर्ट इनके खिलाफ मामला चल रहा है।
अगले साल चुनाव को देखते हुए पॉलिटिकल स्टंटः फूलका
इन दंगों में मारे गए निर्दोष सिखों की केस लड़ रहे सीनियर एडवोकेट एचएस फूलका ने इसे पॉलिटिकल स्टंट बताया है। उन्होंने कहा कि अगले साल चुनाव हैं, इसलिए ऐसा बयान आया है। उन्होंने कहा कि यह बेहद शॉकिंग और हैरान कर देने वाला है कि 32 साल बाद 1984 सिख कत्लेआम का मास्टरमाइंड श्री अकाल तख्त साहब के आगे पेश होना चाहता है। फूलका ने दावा किया कि उन्होंने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार से शुक्रवार को मिलने के लिए समय मांगा है ताकि वह टाइटलर के खिलाफ उन सबूतों को दिखा सकें, जिनमें उनकी सिख कत्लेआम में सीधी शमूलियत रही है। उन्होंने कहा कि वह उन्हें गिरफ्तार करवा कर रहेंगे।
अकाल तख्त साहिब सबूतों को लेकर केंद्र पर बनाए दबावः फूलका
फूलका ने कहा मुझे याद है जब टाइटलर के खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज हुआ था, इसके बाद भी दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने उन्हें सम्मानित किया था। मुझे लगता है कि फिर से वही ताकतें टाइटलर की जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह के साथ मीटिंग करवाने जा रही हैं। उन्होंने कहा कि वह अकाल तख्त साहिब से अपील करेंगे कि सबूतों को लेकर वह केंद्र पर दबाव बनाए ताकि टाइटलर को गिरफ्तार किया जा सके।
वहीं, सिख धर्म की मर्यादाओं के अनुसार केवल सिख ही श्री अकाल तख्त साहिब में पेश हो सकता है। ऐसे में 32 सालों बाद हुए हृदय परिवर्तन एवं श्री अकाल तख्त साहिब में पेश होकर मांफी मांगने के उनके निर्णय का फैसला अब जत्थेदारों के हाथ में हैं।
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