जयललिता अपने जीवन काल में ही महिला सशक्तिकरण का न केवल प्रतीक बन गई बल्कि वह अपने जन कल्याण के कार्यों के कारण लोगों में अम्मा के नाम से भी मशहूर हो गई।
चेन्नई। सिनेमा के रुपहले पर्दे से लेकर सबसे कम उम्र में तमिलनाडु की राजनीति के शिखर पर पहुंचने वाली मुख्यमंत्री जे जयललिता अपने जीवन काल में ही महिला सशक्तिकरण का न केवल प्रतीक बन गई बल्कि वह अपने जन कल्याण के कार्यों के कारण लोगों में अम्मा के नाम से भी मशहूर हो गई।
43 वर्ष की उम्र में मुख्यमंत्री बनने वाली जयललिता का जन्म कर्नाटक के मैसुरु (तत्कालीन मैसूर) में मांड्या जिले के मेलुरकोट गांव में 24 फरवरी 1948 को एक ‘अय्यर’ परिवार में हुआ था। उनके दादा तत्कालीन मैसूर राज्य में एक सर्जन थे। उनके जन्म के दो वर्ष बाद ही पिता जयराम का निधन हो गया। पिता की मृत्यु के पश्चात उनकी मां उन्हें लेकर बेंगलुरु चली गयीं जहां उनके नाना-नानी रहते थे। बाद में उनकी मां ने ‘संध्या’ नाम से तमिल सिनेमा में काम करना शुरू कर दिया।
उन्होंने अपनी मां की फिल्मी विरासत को संभालते हुए तमिल फिल्मों की न केवल चर्चित अभिनेत्री बनीं बल्कि राजनीति में भी कदम रखने के बाद वह सफलता के सीढिय़ां चढ़ती गई और भारतीय राजनीति की त्रिदेवियों में से एक बन गई। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तरह अविवाहित जीवन बिताते हुए भारतीय राजनीति के पुरूषवादी वर्चस्व को तोड़ा। उनके बारे में कम कम लोगों को यह पता है कि वह कभी अभिनेत्री नहीं बनना चाहती थीं और राजनीति में भी उन्होंने अचानक ही कदम रखा।
उनकी प्रारंभिक शिक्षा पहले बेंगलुरु और बाद में चेन्नई में हुई। जयललिता बहुत मेधावी छात्रा थीं। स्कूल के दिनों में उन्हें सर्वश्रेष्ठ छात्रा की शील्ड मिली और दसवीं कक्षा की परीक्षा में उन्हें पूरे तमिलनाडु में दूसरा स्थान मिला। गर्मियों की छुट्टियों के दौरान वह अपनी माँ के साथ एक समारोह में गईं जहाँ एक प्रोड्यूसर वीआर पुथुलू ने उन्हें अपनी फिल्म में काम करने का प्रस्ताव दिया। उनकी मां ने उसी समय उन्हें फिल्मों में काम करने के लिए राजी कर लिया।