सीजेअाई को लिखा था बैठक में न शामिल होने का पत्र, चिट्ठी लिखने की वजह अब अलग निकली।
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज जस्टिस जे चेलामेश्वर ने कोलेजियम प्रणाली पर सवाल उठाते हुए चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर को हाल में चिठ्ठी लिखी थी। उन्होंने इसमें कोलेजियम प्रणाली के पारदर्शी ना होने की बात कहते हुए बैठक में शामिल न होने की जानकारी दी थी। लेकिन अब इस पत्र के लिखने की अलग वजह बताई जा रही है। माना जा रहा है कि इसके पीछे चेलामेश्वर का बेटा अहम वजह रहा था।
चेलामेश्वर का बेटा और केरल हाईकोर्ट के जस्टिस डीएस नायडू दोस्त
दरअसल, जस्टिस चेलामेश्वर द्वारा यह पत्र भेजे जाने से करीब हफ्ते भर पहले ही कॉलेजियम की एक अन्य बैठक हुई थी। इसमें जस्टिस चेलामेश्वर भी मौजूद थे। इस बैठक के दौरान केरल हाईकोर्ट के जस्टिस डीएस नायडू के तबादले का मामला भी विचार के लिए आया। नायडू अपने गृह राज्य आंध्रप्रदेश जाना चाहते थे लेकिन बैठक के दौरान ही कॉलेजियम के एक सदस्य ने ध्यान दिलाया कि हाई कोर्ट के जस्टिस बनने से पहले नायडू हैदराबाद में जस्टिस चेलामेश्वर के बेटे के साथ ही वकालत की प्रैक्टिस करते थे। रिपोर्ट के मुताबिक, इसके बाद जस्टिस चेलामेश्वर ने उसी वक्त कॉलेजिमय की बैठक से खुद को अलग कर लिया था लेकिन, वे कक्ष छोड़कर नहीं गए क्योंकि इसके बाद दूसरे मसलों पर भी चर्चा होनी थी। कॉलेजियम ने जस्टिस नायडू के तबादले पर अंतिम फैसला अगली तारीख तक के लिए टाल दिया था।
कॉलेजियम के सदस्य रह चुके दो जजों ने माना कि जस्टिस नायडू को जज बनाए जाते वक्त भी यह मसला सामने आया था। उस वक्त यह भी पता चला था कि जस्टिस नायडू की आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से भी रिश्तेदारी है। हितों के टकराव से बचने के लिए जून 2014 में उनका तबादला आंध्रप्रदेश से केरल कर दिया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस चेलामेश्वर ने इस खबर पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। हालांकि सूत्रों ने पुष्टि की कि उनके पुत्र और जस्टिस नायडू एक साथ आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट में वकालत करते थे।