जयपुर। कश्मीर के करगिल जिले में मर्इ आैर जुलार्इ 1999 के बीच में भारत आैर पाकिस्तान के मध्य हुआ सशस्त्र संघर्ष कारगिल युद्ध के नाम से जाना जाता है। इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना ने द्रास-कारगिल की पहाड़ियों पर कब्जा करने की कोशिश की थी। जिसका भारतीय सेनाओं ने वीरतापूर्वक जवाब देते हुए पाकिस्तानी सेना तथा मुजाहिदीनों के रूप में उसके पिट्ठुओं को परास्त किया। कारगिल युद्धः आॅपरेशन विजय मई 1999 में एक लोकल ग्वाले से मिली सूचना के बाद बटालिक सेक्टर में लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया के पेट्रोल पर हमले ने उस इलाके में घुसपैठियों की मौजूदगी का पता दिया। शुरू में भारतीय सेना ने इन घुसपैठियों को जिहादी समझा और उन्हें खदेड़ने के लिए कम संख्या में अपने सैनिक भेजे, लेकिन प्रतिद्वंद्वियों की ओर से हुए जवाबी हमले और एक के बाद एक कई इलाकों में घुसपैठियों के मौजूद होने की खबर के बाद भारतीय सेना को समझने में देर नहीं लगी कि असल में यह एक योजनाबद्ध ढंग से और बड़े स्तर पर की गई घुसपैठ थी, जिसमें केवल जिहादी नहीं, पाकिस्तानी सेना भी शामिल थी। यह समझ में आते ही भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय शुरू किया, जिसमें 30,000 भारतीय सैनिक शामिल थे।
कारगिल युद्ध के मुख्य कारण – आम तौर पर कारगिल युद्ध को भी 1947-48 तथा 1965 में पाकिस्तानी सेना द्वारा कबीलाइयों की मदद से कश्मीर पर कब्जा करने की कोशिशों के एक अंग के रूप में देखा जाता रहा है। लेकिन वास्तव में कारगिल युद्ध कश्मीर हथियाने और भारत को अस्थिर करने के जिहादियों के 20 वर्ष से जारी अभियान का एक महत्वपूर्ण बिंदु था ।
– कारगिल युद्ध के जरिए पाकिस्तानी घुसपैठियों ने श्रीनगर को लेह से जोड़ते राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमाक एक पर नियंत्रण स्थापित करने के मकसद से अहम सामरिक स्थानों पर कब्जा कर लिया।जिसकी जवाबी कार्रवार्इ में भारतीय सेना ने आॅपरेशन विजय की शुरू किया।
– कारगिल युद्ध के जरिए पाकिस्तान कश्मीर को लद्दाख से जोड़ने वाली इकलौती सड़क एनएच-1 पर कब्जा करने की थी। इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था।
– पाकिस्तान यह भी मानता है कि इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के तनाव से कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने में मदद मिलेगी। इससे पाकिस्तान भारत को दबाव में लाने में सफल रहता। वहीं सियाचिन ग्लैशियर पर भारतीय पकड़ पर विपरीत असर पड़ता।
– कश्मीर के कारगिल क्षेत्र में नियंत्रण रेखा के जरिये घुसपैठ करने की साजिश के पीछे तत्कालीन पाकिस्तानी सैन्य प्रमुख परवेज मुशर्रफ की अहम भूमिका रही थी। पाकिस्तान के वर्तमान पीएम नवाज शरीफ का कहना था कि मुशर्रफ ने सेना को ललकारा था।
दो लाख सैनिकों को दी गर्इ थी जिम्मेदारी – माना जाता है कि भारत ने इस ऑपरेशन विजय का जिम्मा प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से करीब दो लाख सैनिकों को सौंपा था। जंग के मुख्य क्षेत्र कारगिल-द्रास सेक्टर में करीब तीस हजार सैनिक मौजूद थे।
– युद्ध में पाकिस्तान के 357 सैनिक मारे गए, लेकिन बताया जाता है कि भारतीय सेना की कार्रवाई में उसके चार हजार सैनिकों की जान गई।
– भारतीय सेना के 527 जवान शहीद हुए और 1363 अन्य घायल हुए।
– विश्व के इतिहास में कारगिल युद्ध दुनिया के सबसे ऊंचे क्षेत्रों में लड़ी गई जंग की घटनाओं में शामिल है।
दो माह बाद भारत को मिली जीत दो महीने से ज्यादा चले इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को मार भगाया था और आखिरकार 26 जुलाई को आखिरी चोटी पर भी जीत पा ली गई।यही दिन अब कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।