प्रधान न्यायाधीश ठाकुर ने आशा जाहिर की कि कश्मीर घाटी में राजनीतिक समाधान से शांति आ सकती है।
नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में जारी खास स्थितियों को घटकों के बीच केवल राजनीतिक बातचीत के जरिए ही सुलझाया जा सकता है और न्यायिक हस्तक्षेप की अपनी सीमाएं हैं।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि समस्या के खास पहलू हैं, जिस पर न्यायालय न्यायिक तरीके से फैसला नहीं कर सकता। इस तरह के मुद्दों का समाधान इस समय चल रही बैठकों से ही हो सकता है, जैसे प्रधानमंत्री और विपक्ष के बीच, जहां सभी घटकों की बात सुनी जानी जाए।
प्रधान न्यायाधीश ठाकुर ने आशा जाहिर की कि कश्मीर घाटी में राजनीतिक समाधान से शांति आ सकती है। उन्होंने कहा कि ऐसे स्थितियों में न्यायिक हस्तक्षेप की सीमाएं हैं। न्यायालय ने कहा कि बातचीत के जरिए, जैसे कि मौजूदा समय में सरकार और विपक्षी दलों के बीच जारी बातचीत, ही संकटग्रस्त घाटी में तनाव कम करने का कोई समाधान निकल सकता है। इसके बाद न्यायालय ने जम्मू एवं कश्मीर पैंथर्स पार्टी के अध्यक्ष भीम सिंह को सलाह दिया कि उन्हें न्यायालयी सुनवाई में उलझने के बदले राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल हो जाना चाहिए।
न्यायालय जम्मू एवं कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी की ओर से दायर एक याचिका की सुनवाई कर रहा था। याचिका में आग्रह किया गया है कि न्यायालय जम्मू एवं कश्मीर के मौजूदा हालात में हस्तक्षेप करने के लिए राज्यपाल को निर्देश दे, और विधानसभा को निलंबित किया जाए। याचिकाकर्ता ने कहा है कि जम्मू एवं कश्मीर संविधान की धारा 92 के तहत विधानसभा को निलंबित कर राज्यपाल के पास हस्तक्षेप की पूरी जिम्मेदारी है, क्योंकि मौजूदा सरकार संविधान एवं कानून के अनुरूप राज्य में शासन करने में पूरी तरह विफल साबित हुई है।