उत्तराखंड में द्वादश ज्योतिर्लिंगों में अग्रणी भगवान केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिये प्रात: साढ़े आठ बजे बंद कर दिये गये
रुद्रप्रयाग/देहरादून। उत्तराखंड में द्वादश ज्योतिर्लिंगों में अग्रणी भगवान केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिये प्रात: साढ़े आठ बजे बंद कर दिये गये। मुख्यमंत्री हरीश रावत लगभग साढ़े आठ बजे केदारनाथ धाम पहुंचकर पूजा अर्चना की। कपाट बंद होने के बाद मुख्यमंत्री ने भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली को धाम से प्रस्थान किया और डोली विभिन्न यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिये रामपुर पहुंचेगी। इससे पूर्व प्रधान पुजारियों, विद्वान आचार्यों, वेदपाठियों व हक-हकूकधारियों द्वारा भगवान केदारनाथ की पूजाएं सम्पन्न कर भगवान केदारनाथ के स्वयंभू लिंग को ब्रम्हकमल, भष्म, पुष्प-अक्षत्र सहित विभिन्न पूजार्थ सामाग्रियों से समाधि दी गयी ।
उन्होंने बताया कि बुधवार को डोली द्वितीय रात्रि प्रवास के लिये विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। जहां पर अखण्ड जागरण का आयोजन किया जायेगा। तीन नवंबर को डोली अपने शीतकालीन गददीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी, जिसके बाद बाबा केदार की मूर्ति को पूजा स्थल पर विराजमान किया जायेगा और इसके बाद भगवान केदारनाथ की शीतकाल की पूजा यहीं पर होगी। उन्होंने कहा कि आपदा के बाद एक बार फिर केदारनाथ यात्रा पटरी पर लौटने लगी है और हमारा जो मकसद था वह पूरा हुआ। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में दुगनी संख्या में श्रद्धालु बाबा केदारनाथ धाम आएंगे, इसके लिए सरकार और बेहतर व्यवस्थायें करेगी।
रावत ने कहा यह सरकार की एक बड़ी सफलता है। उन्होंने कहा कि प्रशासन पुलिस एनडीआरफ सहित सभी यात्रा से जुड़े विभागों ने बेहतर कार्य किया और उसकी बदौलत आज केदारनाथ यात्रा फिर से पुराने स्वरूप में दिखी है। केदारनाथ के रावल शिवशंकर ङ्क्षलग ने बताया कि इस बार की यात्रा सुखद रही है। देश-विदेश से तीन लाख दस हजार के करीब यात्रियों ने बाबा केदार के दर्शन किये, जिससे मंदिर समिति और स्थानीय व्यापारियों को भी काफी फायदा पहुंचा है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि अगले वर्ष इससे भी अधिक तीर्थयात्री बाबा के धाम पहुंचेंगे। इस अवसर पर केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती, हरिद्वार सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, जिलाधिकारी डॉ. राघव लांगर, पुलिस अधीक्षक प्रह्लाद नारायण मीणा समेत भारी संख्या मैं श्रद्धालु मौजूद थे।