कैरी ने दिल्ली की बारिश पर ली चुटकी, पूछा क्या आप नाव से आए
Published: Aug 31, 2016 06:10:00 pm
बारिश के कारण उन्हें बुधवार को राजधानी में तीन धार्मिक स्थलों पर जाने के अपने कार्यक्रम को भी स्थगित करना पड़ा
नई दिल्ली। अमरीका के विदेश मंत्री जॉन केरी बुधवार को जब आईआईटी दिल्ली पहुंचे तो बारिश के कारण जलभराव को देखकर दंग रह गए। उन्होंने इस पर चुटकी लेते हुए लोगों से यह भी पूछ डाला कि कहीं वे नाव में तो नहीं आए? दिल्ली में बुधवार सुबह हुई बारिश के कारण केरी को भी परेशानी का सामना करना पड़ा और उन्हें आईआईटी दिल्ली में अपने भाषण के लिए पहुंचने में देर हो गई। आईआईटी दिल्ली के सामने वाली सड़क पर एक फीट गहरा पानी भरा था।
यहां पहुंचने के बाद उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, मुझे नहीं पता कि आप यहां नाव से आए हैं या किसी ऐम्फिबीअस (जल एवं थल में चलने योग्य वाहन) से? उनका ऐसा कहते ही लोगों की हंसी छूट गई। बारिश के कारण उन्हें बुधवार को राजधानी में तीन धार्मिक स्थलों पर जाने के अपने कार्यक्रम को भी स्थगित करना पड़ा। उन्हें आज शीशगंज गुरुद्वारा, जामा मस्जिद और गौरी शंकर मंदिर जाना था, लेकिन बारिश के कारण इसे टाल दिया गया। केरी का काफिला सोमवार को भी यातायात जाम में फंस गया था और उन्हें हवाईअड्डे से अपने होटल पहुंचने में करीब एक घंटा लगा।
अब, कैरी बोले असहिष्णुता पर
कैरी ने कहा कि किसी भी जगह ध्रुवीकरण अच्छा नहीं होता क्योंकि इससे असहिष्णुता और शासन को लेकर कुंठा की झलक मिलती है। दिल्ली के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में छात्रों से बातचीत में कैरी ने कहा, हमें अपने सभी नागरिकों के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए चाहे वे किसी भी वर्ग के हों और उन्हें बिना किसी भय के विरोध करने की इजाजत देनी चाहिए। उनके मन में बोलने पर जेल जाने का भय नहीं होना चाहिए।
कैरी ने कहा कि भारत और अमरीका की खूबसूरती असंभव को हकीकत बनाने के इतिहास में निहित है। यह एक अनोखा सांस्कृतिक, जातीय एवं धार्मिक विविधता वाला देश है। बहुत से लोग सोचते थे कि सबसे बड़ा मध्यम वर्ग तैयार करना असंभव है। हमारे दो देशों की संभावनाएं असीमित हैं। मुझे अमरीका और भारत की साझी उपलब्धियों की प्रतीक्षा है। कैरी ने कहा कि उनका देश चाहता है कि भारत दो क्षेत्रों में तेजी से बढ़े। भारत को नियामक प्रणाली को सुधारना होगा और नौकरशाही को प्रभावी एवं युक्तिसंगत बनाना होगा। नौकरशाही को निर्णय प्रक्रिया में साझीदार के रूप में ढलना चाहिए न कि बाधायें खड़ी करने में विशेषज्ञ के रूप में।
आतंकवाद के मुद्दे पर उन्होंने पाकिस्तान पर इस बुराई के खिलाफ लडऩे का दबाव बढ़ाया। उन्होंने कहा, यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान को अपने देश में सक्रिय संगठनों पर सख्त कार्रवाई करनी होगी। अमरीका पाकिस्तान से लगातार आग्रह करता रहा है कि वह आतंकी शिविरों को नष्ट करे। उन्होंने कहा, हमने उस देश में (आतंककारियों की) पनाहगाहों की बात की है। पाकिस्तानियों ने आतंकवाद के कारण बहुत नुकसान झेला है। पचास हजार पाकिस्तानी आतंकवाद की वजह से मारे जा चुके हैं। उन्हें हमारे साथ मिल कर उन बुरी ताकतों की पनाहगाहों को नष्ट करने में मदद करनी होगी।