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देश के CAG शशिकांत शर्मा के बारे में ये तथ्य जानकर चौंक जाएंगे आप

Published: Jul 26, 2017 09:20:00 am

Submitted by:

ghanendra singh

पूरे देश में अपने खुलासों से हंगामा मचा चुके शर्मा की खुद की संपत्ति केवल नोएडा का एक घर है जो उन्होंने 1995 में खरीदा था। 23 मई 2013 को पद संभालने वाले शशिकांत रक्षा सचिव रहे हैं ।

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नई दिल्ली। देश की संसद में सीएजी शशि कांत शर्मा अपनी रिपोर्टों के जरिए नए-नए खुलासे कर रहे हैं। पहला खुलासा रेलवे स्टेशन पर परोसे जाने वाले खाने को लेकर किया। इसके बाद रेलवे ने सुधार की बात कही। दूसरा खुलासा गोला-बारूद की भारी कमी से जूझ रही भारतीय सेना को लेकर किया। तीसरा खुलासा किया सुपरचार्ज को लेकर कि रेलवे ने धीमी गति वाली ट्रेनों में भी मुसाफिरों से सुपरफास्ट का किराया वसूला। पूरे देश में अपने खुलासों से हंगामा मचा चुके शर्मा की खुद की संपत्ति केवल नोएडा का एक घर है जो उन्होंने 1995 में खरीदा था। 23 मई 2013 को पद संभालने वाले शशिकांत रक्षा सचिव रहे हैं ।

सेकंड डिवीजन, बने आईएएस
यूपी के मुरादाबाद में जन्मे शर्मा सिविल सर्विसेज में चयन के समय मेरठ के एक कॉलेज में लेक्चरर थे। इलाहाबाद विवि से द्वितीय श्रेणी में बीएससी और आगरा से एमए करने वाले बिहार कैडर के आईएएस शर्मा १९९२ में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आने के पहले बिहार में लेबर कमिश्नर थे। आज भी मौका मिलने पर वे बैडमिंटन जरूर खेलते हैं।

वीके सिंह की जन्मतिथि पर अड़े 
शशिकांत शर्मा का नाम देश के नौकरशाहों के बीच उस वक्त चर्चा में आया था जब बतौर रक्षा सचिव उन्होंने पूर्व सेनाध्यक्ष और अब मंत्री जनरल वी के सिंह की जन्मतिथि को 1950 की जगह 1951 मानने से इनकार कर दिया था। पहले तो वीके सिंह न्यायालय चले गए। लेकिन उन्हें कोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिली फिर वो 31 मई 2012 को रिटायर हो गए।

नियुक्ति के विरोध में थी भाजपा
शशिकांत शर्मा पर को जब यूपीए की सरकार में सीएजी बनाया गया था तो उसका भाजपा ने जमकर विरोध किया था। भाजपा का आरोप था कि शर्मा 2007 में डीजी एक्विजिशन बन गए थे और विवादस्पद अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर की खरीद प्रक्रिया को वस्तुत: वही नियंत्रित कर रहे थे।शर्मा 2010 तक इस महत्वपूर्ण पद पर बने रहे और फिर 2011 में रक्षा सचिव बने।

सुप्रीम कोर्ट तक ने जताया भरोसा
शशिकांत की नियुक्तिके विरोध में प्रशांत भूषण ने जनहित याचिका भी दायर की थी। कहा था कि रक्षा खरीदों में उनकी भूमिका रही है ऐसे में वे सीएजी के तौर पर भूमिका का ईमानदारी से निर्वहन संभवतया नहीं करें। हाईकोर्ट ने भूषण की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उन पर संदेह की वजह नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी यही माना।
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