नई दिल्ली. अगर पति-पत्नी किसी अन्य देश में अपने बच्चों को बंधक बनाते हैं और इसके लिए दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें एक साल की सजा हो सकती है। यही नहीं, इस काम में अगर रिश्तेदार उनकी मदद करते हैं तो ऐसे रिश्तेदारों को छह माह तक की जेल हो सकती है।
न्यायिक आयोग ने इस बाबत एक प्रस्ताव पेश किया है। इसके तहत इंटर-पैरंटल चाइल्ड ऐबडक्शन के दोषियों को एक साल की सजा दिए जाने की सिफारिश की गई है। आयोग ने कहा है कि चूंकि ऐसा करने वाले अभिभावकों का मकसद अपने बच्चों को नुकसान पहुंचाना नहीं होता। वे केवल बच्चे के प्रति लगाव के कारण ऐसा करते हैं। आयोग ने कहा कि इस तर्क को देखते हुए इन अभिभावकों के लिए इस अपराध में थोड़ी नरमी बरतनी चाहिए। दरअसल, देश में अभी इस तरह के अपहरण से जुड़ा कोई कानून नहीं है। अब महिला एवं बाल विकास मंत्रालय सक्रिय हुआ है। उसने विदेश में घटने वाले इस मामले में इन बच्चों की वापसी के लिए सिविल आस्पेक्ट्स ऑफ इंटरनैशनल चाइल्ड ऐबडक्शन बिल, 2016 तैयार किया है।
आयोग ने कानून मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी
इस आयोग के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज बीएस चौहान हैं। उन्होंने कानून मंत्रालय को 43 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है। इसमें इंटर-कंट्री चाइल्ड रिमूवल या ऐबडक्शन के बारे में कई सुझाव दिए हैं। इसमें कहा गया है कि मौजूदा बिल का नाम प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन (इंटर-कंट्री रिमूवल एंड रिटेंशन) बिल, 2016 कर दिया जाए। इसके अलावा सुझाव दिया गया है कि अपहरण के मामले में अगर किसी दूसरे देश की अदालत में फैसला आ चुका हो तो भी भारतीय अदालतों के पास अधिकार है कि वे अपहृत बच्चे की वापसी का आदेश दें। रिपोर्ट में छह अपवाद गिनाए गए हैं। इन अपवादों के तहत भारतीय अदालतें बच्चे की वापसी का आदेश नहीं दे सकतीं।
इन स्थितियों में देश में वापसी का आदेश नहीं
इनमें कहा गया है कि अगर बच्चे की उम्र ऐसी हो गई हो कि वह अपना भला-बुरा समझ सकता हो। अगर इस बात का गंभीर खतरा हो कि वापसी होने पर बच्चे को शारीरिक या मानसिक नुकसान पहुंच सकता है। अगर देश के मौलिक अधिकारों के तहत वापसी की इजाजत न हो तो भारतीय अदालतें उसकी वापसी का आदेश नहीं दे सकतीं। एक अपवाद यह है कि अगर बच्चे का अपहरण करने वाले अभिभावक के खिलाफ घरेलू हिंसा का कोई मामला हो तो भी बच्चे की वापसी का आदेश नहीं दिया जा सकता है।
ब्रिटेन में 7 साल तक की सजा
आयोग ने ऐसे अपराध के मामले में एक साल की सजा का सुझाव दिया है। उसने कहा कि ब्रिटेन में ऐसे ही अपराध के लिए चाइल्ड ऐबडक्शन एक्ट 1984 में सात वर्ष तक की जेल का प्रावधान है। ऐसे अभिभावकों के प्रति नरम रुख का सुझाव देते हुए आयोग ने कहा है कि ज्यादातर देशों में बच्चे के अपरहण के मामलों में सख्ती की जाती है, लेकिन पैरंटल ऐबडक्शन के मामले में ये कथित अपहरणकर्ता मुख्यत उनके पैरंट्स ही होते हैं।
क्या है पैरंटल चाइल्ड ऐबडक्शन
– कई माता-पिता अपने बच्चों को बाहर जाने नहीं देते। बंधक बनाते हैं। कानून की नजर में यह अपहरण है।
– अगर माता-पिता तलाक ले चुके हैं। बच्चा माता-पिता में से किसी एक के पास है। इस बीच, इनमें से कोई भी अपने बच्चे को बिना कानून की इजाजत अपने ले पास लाता है तो वो भी अपहरण की श्रेणी में आता है।